क्राइस्टचर्च (न्यूजीलैंड) | पूरे दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। लेकिन अब कोरोना के मामलों में कमी होने लगी है। कोरोना को हराने के लिए हमारे पास सबसे बड़ा हथियार कोरोना वैक्सीन है। हमारे पास सबसे पहले बुजुर्गों के लिए वैक्सीन आई इसके बाद 18 साल से ज्याद उम्र वालों के लिए। इसके बाद सभी देश प्रयासरत है कि जल्द से जल्द बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन बनाई जाएं। हालंकि कुछ देशों ने बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन बना ली है। इस कड़ी में अब न्यूजीलैंड का नाम सामने आया है। न्यूजीलैंड के दवा नियामक मेडसेफ ने 12 से 15 साल की आयु के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को तात्कालिक मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न को उम्मीद है कि अगले सप्ताह में इस वैक्सीन को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल जाएगी। जिसके बाद 12-15 साल के बच्चे कोरोना का टीका लगवा सकेंगे। बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगनी अतिआवश्यक है। माता-पिता बिना वैक्सीन के बच्चों को कहीं बाहर नहीं भेज रहे है। कोरोना के मामलें कम होने होने के साथ अब सभी देश पाबंदियों में छूट देने लगे है। लोगों का जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। इसी के साथ स्कूल खुलने की भी योजना चल रही है। लेकिन कोरोना के भय से माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे है।
टीका लगवाना महत्वपूर्ण क्यों..
कोरोना वायरस को टीका वैसे तो सभी के लिए जरूरी है। बच्चों को कोविड-19 से गंभीर बीमारी या मृत्यु का जोखिम वृद्ध लोगों की तुलना में कम होता है।लेकिन फिर भी दो कारणों से उन्हें टीका लगाना आवश्यक है। कोरोना वायरस बच्चे हो या बूढ़े सभी पर अपना काला साया डाल रहा है।
- पहला, अगर बच्चे वायरस से कोरोना संक्रमित होते हैं तो वे इसे अन्य लोगों में फैला सकते हैं। जिनमें उच्च जोखिम वाले समूह या ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें चिकित्सा कारणों से टीका नहीं लगाया जा सकता है। या फिर कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। कई देशों में यह देखा गया है कि कम उम्र के लोगों में कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू हुआ और यह बड़ी उम्र के लोगों में फैल गया। क्योंकि कोविड बच्चों को भी हो रहा है। और यह एक-दूसरे में फैल रहा है। जिससे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु तक की नौबत आ गई।
- दूसरा, ऐसा कहा जा रहा है कि बच्चों में किसी भी बीमारी का जोखिम बहुत कम होता है। बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले दो गुने होती है। लेकिन ऐसे बहुत से मामलें देखे गए जहां पर बच्चों को कोरोना हुआ है। कोरोना के कारण बहुत समय बाद तक बच्चों में इसके लक्षण देखें जा सकते है। जिसे आजकल लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड कहा जा रहा है। ऐसा देखा गया है कि कम उम्र के लोगों का एक बड़ा वर्ग इससे प्रभावित हुआ है
मेडसेफ द्वारा बच्चों में टीकाकरण का अप्रूवल ठोस आंकड़ों पर आधारित है जो दर्शाता है कि टीका इस आयु वर्ग के लिए सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी है। यह यूरोप, अमेरिका और कनाडा में इसी तरह के कदमों का अनुसरण है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि किशोरों का टीकाकरण करने से उनके बीमार होने और दूसरों में वायरस फैलाने का खतरा कम हो जाता है। टीकाकरण करने से शरीर में रोग-प्रतिरोधर क्षमता बढ़ जाती है। जिससे कोरोना के फैलने का खतरा ना के बराबर हो जाता है।
बच्चों के लिए न्यूज़ीलैंड की नई टीकाकरण योजना
न्यूजीलैंड में 2,65,000 बच्चे है जो 12-15 आयु वर्ग में हैं। यह कुल जनसंख्या के 5% से ज्यादा है। इसे उन 80% में जोड़ें जो 16 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो इसका यह मतलब है कि फाइजर वैक्सीन को अब 85% आबादी में उपयोग के लिए मेडसेफ की मंजूरी मिल गई है। यह अच्छी खबर है क्योंकि जनसंख्या प्रतिरक्षा तक पहुंचने के लिए हमें वास्तव में ज्यादा से ज्यादा लोगों के टीकाकरण की आवश्यकता होगी। छह से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन सही है या नहीं इसका आकलन करने के लिए ट्रायल चल रहे हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक एशले ब्लूमफील्ड ने कहा कि परीक्षण के परिणाम उपलब्ध होने पर मेडसेफ इन पर विचार करेगा।
साल के अंत तक सभी को वैक्सीन लगाने की योजना
इस समय न्यूजीलैंड को दुनिया भर के देशों से कोविड-19 के संक्रमण का खतरा है और टीकाकरण से उस खतरे को कम किया जा सकता है। यही कारण है कि सरकार ने साल के अंत तक सभी को वैक्सीन लगाने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने कहा कि न्यूजीलैंड ने फाइजर वैक्सीन के पहले से जो ऑर्डर दिए हुए हैं उससे 12-15 वर्ष के बच्चों को दो खुराक देने के लिए पर्याप्त खुराक मिल सकेंगी।