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हाइकोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा - अमित शाह पर क्यों नहीं हुई FIR

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हाइकोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा - अमित शाह पर क्यों नहीं हुई FIR
New Delhi: देश में कोरोना की दूसरी नहर के कारण जो भी स्थिति बनी उसका कारण कहीं ना कहीं भारत की राजनीतिक पार्टियों की महत्वकांक्षी भी थी. देश के जिन भी 5 राज्यों में चुनाव संपन्न कराए गए उन सभी में कोरोना के आंकड़ों में जबरदस्त उछाल पाया गया था. कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनाव प्रचार के दौरान आयोजित की गई एक रैली के दौरान कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने पर सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट में पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि जब रैलियों में गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही थी तो रैलियों में शामिल नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई. हाईकोर्ट ने पूछा कि अमित शाह के ऊपर प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई.

क्या है मामला

17 जनवरी को कर्नाटक के बेलागावी गांव में गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में एक रैली का आयोजन किया गया था. रैली में भाजपा के बड़े नेताओं के साथ हैं कई लोगों की भीड़ शामिल हुई थी. इस दौरान कोरोना की गाइड लाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई थी. बाद में इस पूरे प्रकरण को लेकर लेट्जकिट फाउंडेशन ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी जिस पर अब कर्नाटक हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फैसले में कहा कि तस्वीरों को देखने से साफ होता है कि रैलियों में लोग बिना मास्क के आए थे और सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. इसे भी पढ़ें- भारत सरकार ने चेताया- सोशल मीडिया पर पोस्ट ना करें वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट, हो सकता है ये नुकसान

कमिश्नर को लगी फटकार कहा महामारी एक्ट के तहत होनी थी कार्रवाई

मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि समझ नहीं आता कि पुलिस ने कैसी कार्रवाई की है और प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई है. हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस में से 20000 का जुर्माना लगाकर मामले को रफा-दफा कर दिया. कमिश्नर को फटकार लगाते हुए कोर्ट की ओर से कहा गया कि यह लापरवाही वाला कदम था आपको महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई करनी थी और रैली में शामिल सभी बड़े लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए था. इसे भी पढ़ें-  हद है ! फेमस होने के लिए यूट्यूबर ने गुब्बारों से बांधकर कुत्ते को उड़ाया, हुआ गिरफ्तार
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