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जत्था गंगोत्री से 300 किमी पैदल चलकर पहुंचा सहारनपुर, एक ने तोड़ा दम

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जत्था गंगोत्री से 300 किमी पैदल चलकर पहुंचा सहारनपुर, एक ने तोड़ा दम
सहारनपुर। लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया, पैसे भी खत्म हो गए। ऐसे में भूखे मरने से बचने के लिए 11 मजदूरों का एक जत्था गंगोत्री से पैदल चलकर सहारनपुर तो पहुंचा, लेकिन एक मजदूर करीब 300 किलोमीटर के सफर की थकान बरदाश्त नहीं कर पाया और तबियत बिगड़ गई। उपचार के लिए सहारनपुर ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया। भूखे पेट और लगातार चलने से बनी थकान को उसकी मौत की वजह माना जा रहा है। जत्था छह मई को वापस गांव के लिए चल दिए। चार दिन बाद गांव में पहुंचे तो अतर सिंह की हालत बिगड़ गई। अतर सिंह के बेटे ने बताया कि 10 मई की सुबह उन्हें मिर्जापुर ग्लोकल मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां से उन्हें सहारनपुर रेफर कर दिया। रास्ते में उनकी मौत हो गई। अतर सिंह के बेटे का कहना है कि 6 मई को जब उनके पिता जी अन्य लोगों के साथ चले तो रास्ते में उन्हें कही भी कुछ भी खाने को नहीं मिला, ना कोई ऐसी व्यवस्था की गई, जिससे कि वो अपने गांव पहुंच सकें। गांव आने के बाद उन्होंने थोड़ा सा खाना खाया और उसके बाद उन्हें पेट दर्द की शिकायत हुई परिजन जब अतर सिंह को डॉक्टर के पास ले गए तो डॉक्टर्स ने बताया कि शायद भूखे रहने के कारण उनकी आंत में इंफेक्शन हो गया, परिजन अतर सिंह को लेकर हायर सेंटर पहुंचे मगर उन्होंने दम तोड़ दिया। अतर सिंह की मौत से पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है। बचे सिर्फ दस रूपए वहीं उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित एक कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले मजदूर 20 साल के ओम प्रकाश की घर जाने की कहानी बेहद दर्दभरी है। ओम प्रकाश का घर बिहार के सारण में है, जोकि करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी पर है। वह करीब दो सौ किलोमीटर का पैदल सफर तय कर आगरा तक पहुंचा और फिर करीब साढ़े तीन सौ किमी दूर लखनऊ तक जाने के लिए ट्रक के साथ निकला। लखनऊ पहुंचकर ट्रकवाले को पैसे देने के बाद प्रवासी मजदूर के पास सिर्फ 10 रुपए बचे। अभी भी घर जाने के लिए उसे सैकड़ों किलोमीटर चलना है, लेकिन पैसे बिल्कुल भी नहीं बचे।
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