nayaindia 2036 Olympics in India भटकी हुई प्राथमिकताएं
Editorial

भटकी हुई प्राथमिकताएं

ByNI Editorial,
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भारत जैसे विकासशील देश के लिए ओलिंपिक मेजबानी के चक्कर में फंसना भटकी हुई प्राथमिकता का परिणाम ही कहा जाएगा। संभव है कि इससे भाजपा अपना चुनावी ब्रांड चमकाने में सफल हो जाए, लेकिन वह चमक देश को महंगी पड़ेगी।

तमाम संकेत हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2036 के ओलिंपिक खेलों के आयोजन की मेजबानी पर दावा जताने का मन बना लिया है। यह संभवतः प्रधानमंत्री की अगले चुनाव के लिए तैयार किए जा रहे नैरेटिव का हिस्सा होगा। खबर है कि नीति आयोग के विशेषज्ञ एक दस्तावेज तैयार करने में जुटे हुए हैं, जिसके आधार पर ‘अमृतकाल’ में ही भारत को विकसित देश बना देने का खाका खींचा जाएगा। इस खाके को विश्वसनीय बनाने के लिए जो कहानियां इसमें जोड़ी जाएंगी, उनमें गगनयान, 2040 तक चांद पर किसी भारतीय को भेजने की योजना आदि के साथ-साथ ओलिंपिक की मेजबानी को भी शामिल किया जाएगा। जिस समय ओलिंपिक खेलों की मेजबानी की बढ़ती कीमत और इसको लेकर अक्सर मेजबान देश में विवाद बढ़ते जा रहे हैं, मुमकिन है कि भारत को यह मेजबानी मिल भी जाए।

अगर यह मिली, तो फिर मेजबानी से भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले फायदों की कहानी भी प्रचारित की जाएगी। इसीलिए इस पर गौर कर लेना उचित होगा कि आखिर मेजबानी कितनी फायदेमंद होती है। एक आकलन के मुताबिक दावेदारी पेश करने की प्रक्रिया में ही अब संबंधित देशों को 10 करोड़ डॉलर तक का खर्च करना पड़ता है। उसके बाद जरूरी निर्माण की चुनौती आती है। इसमें ज्यादातर खर्च मेजबान देश को ही करना पड़ता है। ओलिंपिक की मेजबानी में किस तरह कई शहर कर्ज के बोझ में दब गए, इसकी कहानियां अब बहुचर्चित हो गई हैँ। मसलन, कनाडा के शहर मॉन्ट्रियल को अपना कर्ज उतारने में 30 वर्ष लगे, जबकि 2004 में एथेंस में हुई मेजबानी का ग्रीस को वित्तीय संकट में फंसाने में बड़ा योगदान रहा, तो 2014 ब्राजील के शहर रियो द जनेरो को उबारने के लिए ब्राजील सरकार को अपने खजाने से 90 करोड़ डॉलर देने पड़े। 2021 में टोक्यो को भी खासा आर्थिक नुकसान हुआ। भारत में कहानी उससे अलग रहेगी, इसकी कोई संभावना नहीं है। इसलिए भारत जैसे विकासशील देश के लिए ओलिंपिक मेजबानी के चक्कर में फंसना भटकी हुई प्राथमिकता का परिणाम ही कहा जाएगा। संभव है कि इससे भाजपा अपना चुनावी ब्रांड चमकाने में सफल हो जाए, लेकिन वह चमक देश को महंगी पड़ेगी।

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