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एक का सवाल नहीं

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श्रम मंत्री ने कहा है कि अन्ना की मौत के मामले की जांच शुरू हो चुकी है और सात से 10 दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। लेकिन रिपोर्ट क्या आएगी? क्या लंबे कार्य-घंटों के चलन में कोई गोपनीयता है?

अर्न्स्ट एंड यंग (ईएंडवाई) की कर्मचारी अन्ना सिबैस्टियन पेरायिल की मौत के सोशल मीडिया पर बड़ा मुद्दा बनने के बाद लंबे कार्य-घंटों में छिपी अमानवीयता को लेकर भारतीय राजनेताओं की संवेदना में क्षणिक हलचल दिखी है। अन्ना के गृह राज्य यानी केरल के नेता ज्यादा आहत नजर आए हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कार्य-घंटों को सीमित करने के लिए एक निजी मेंबर बिल पेश करने की घोषणा की है। थरूर ने कहा है कि ‘किसी को भी एक दिन में आठ घंटों के ज्यादा’ काम नहीं करना चाहिए। मामला गरम होते देख सत्ताधारी नेता भी विवाद में कूदे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कॉलेजों एवं संस्थानों को सलाह दी कि वे अपने यहां छात्रों को काम के तनाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण का इंतजाम करें। श्रम राज्य मंत्री शोभा करांडजले ने मामले की जांच की घोषणा की। अब श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि जांच शुरू हो चुकी है और सात से 10 दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। लेकिन रिपोर्ट क्या आएगी? क्या लंबे कार्य-घंटों के चलन में कोई गोपनीयता है? यह आज की कार्य संस्कृति का हिस्सा है, जिसे बढ़ावा देने में खुद सरकारों का योगदान है।

इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति खुलेआम कर्मचारियों से हफ्ते में 70 घंटे काम लेने की वकालत कर चुके हैं। अन्ना ने अपनी मां को लिखे पत्र में कहा था- काम का बोझ, नया माहौल, और लंबे कार्य-घंटों की कीमत उसे शारीरिक, भावनात्मक, और मानसिक रूप से चुकानी पड़ रही है। लेकिन क्या यह सिर्फ किसी एक कर्मचारी की व्यथा कथा है? ईएंडवाई बहुराष्ट्रीय कंपनी है। उसमें नौकरी हाई-प्रोफाइल मानी जाती है। उसके कर्मचारी उच्च मध्य वर्ग का हिस्सा होते हैं। संभवतः यह भी एक कारण है, जिसकी वजह से अन्ना की मौत मुद्दा बनी और राजनेताओं की संवेदना को भी छू सकी। वरना, इसी समय तमिलनाडु स्थित सैमसंग कंपनी में मजदूरों की हड़ताल चल रही है। कार्य-स्थियों में सुधार उनकी भी एक प्रमुख मांग है। लेकिन यह खबर कितने लोगों के पास है? तो कुल मिलाकर मामला सोशल मीडिया तूफान का है, जिसके थमते ही नेताओं की भावनाएं भी यथास्थिति में चली जाएंगी।

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