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बांग्लादेशः आपस में टकराव

bangladesh conflictImage Source: ANI

bangladesh conflict: एक दूसरे पर हमले करने के लिए ये गुट शेख हसीना को मुद्दा बना रहे हैं। इस माहौल से फिर टकराव की आशंकाएं गहरा रही हैं। लोगों में भी मायूसी है। धारणा बनने लगी है कि अगस्त में हुआ बदलाव व्यर्थ जा रहा है। 

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बांग्लादेश में जिन सियासी ताकतों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन में जबरदस्त एकता दिखाई थी, अब उनके बीच टकराव तीखा हो रहा है।

नए चुनाव कराने के सवाल पर अंतरिम सरकार के रुख ने अन्य समूहों में अंदेशा पैदा किया है कि बीते अगस्त में फौरी तौर पर देश की कमान संभालने आए शासकों को सत्ता का स्वाद लग गया है।(bangladesh conflict)

अब वे चुनाव नहीं कराना चाहते। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस और सरकार में शामिल पूर्व छात्र नेताओं के कुछ बयानों के बाद बांग्लादेश नेशलनिस्ट पार्टी (बीएपनी) सहित अन्य दल अंतरिम शासकों के खिलाफ खुल कर बोलने लगे हैं। इन बयानों का संदेश था कि चुनाव कराना अंतरिम सरकार की प्राथमिकता नहीं है।

जानबूझ कर चुनाव में देर

तब से आरोप लगाए गए हैं कि अंतरिम सरकार जानबूझ कर चुनाव में देर कर रही है। संदेह जताया गया है कि हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद मोहम्मद यूनुस और उनके छात्र समर्थक बीएनपी को भी रास्ते से हटाना चाहते हैं।

हसीना के देश से जाने के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग के नेताओं के ख़िलाफ़ हत्या समेत अलग-अलग आरोपों में मामले दर्ज होने का सिलसिला शुरू हुआ था।

उधर प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी की अध्यक्ष ख़ालिदा ज़िया के खिलाई कई मामलों में सज़ा रद्द की गई। जमात-ए-इस्लामी के भी कई नेता और कार्यकर्ता जेल से रिहा हुए।

तब लग रहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, बीएनपी, जमात और आंदोलनकारी छात्र नेता एकजुट हैं। लेकिन अब सूरत बदल गई है।(bangladesh conflict)

एक दूसरे पर हमले करने के लिए ये गुट शेख हसीना को मुद्दा बना रहे हैं। एक दूसरे पर इल्जाम लगाए गए हैं कि वे हसीना के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं।

बीएनपी ने कहा है कि अंतरिम सरकार और जमात भारत के साथ अपने रिश्ते अच्छे करने के लिए हसीना को माफ़ कर देना चाहते हैं।

इसके बाद जमात-ए-इस्लामी पार्टी ने बीएनपी पर कड़ा हमला किया। इस माहौल से देश में फिर टकराव की आशंकाएं गहरा रही हैं। लोगों में भी मायूसी है। ये धारणा बनने लगी है कि अगस्त में हुआ बदलाव व्यर्थ जा रहा है।

By NI Editorial

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