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जस्टिन ट्रूडो की विदाई

canada political crisisImage Source: ANI

canada political crisis: सारे घटनाक्रम के पीछे असल कारण कनाडा में बढ़ी आर्थिक मुश्किलें हैं। देश में महंगाई बेलगाम है। खासकर मकानों की कीमतें आसमान पर हैं। इसका लाभ कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलवरे ने उठाया है, जिन्हें कनाडा का ट्रंपकहा जाता है।

बढ़ते विरोध का लंबे समय तक मुकाबला करने के बाद आखिरकार कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हथियार डाल दिए हैं।

एलान कर दिया है कि जैसे ही लिबरल पार्टी नया नेता चुन लेगी, वे पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पदों से इस्तीफा दे देंगे।

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अपनी हैसियत को बरकरार रखना उनके लिए पिछले महीने बेहद मुश्किल दिखने लगा था, जब वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीडमैन ने इस्तीफा देने के बाद उनके खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोल दिया था।

उसके पहले जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली एनडीपी और क्यूबेक ब्लॉक पार्टियों की समर्थन वापसी से लिबरल पार्टी अल्पमत में आ चुकी थी।

सरकार इसलिए बची हुई थी, क्योंकि वे दोनों पार्टियां भी तुरंत चुनाव नहीं चाहतीं, इसलिए कंजरवेटिव पार्टी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिशों का साथ वे नहीं दे रही थीं।

नौ साल से प्रधानमंत्री की भूमिका निभा रहे ट्रूडो की घटती लोकप्रियता का सबूत 2021 में ही मिल गया था, जब मध्यावधि चुनाव कराने का उनका दांव फेल हो गया। तब लिबरल पार्टी बहुमत नहीं पा सकी। तब से उसकी सरकार एनडीपी एवं क्यूबेक ब्लॉक के समर्थन पर निर्भर थी।

इस सारे घटनाक्रम के पीछे असल कारण कनाडा में बढ़ी आर्थिक मुश्किलें हैं। कोरोना महामारी के बाद से महंगाई बेलगाम है। खासकर मकानों की कीमतें और किराये आसमान पर हैं।

इसका लाभ कंजरवेटिव पार्टी के नए उभरे नेता पियरे पोइलवरे ने उठाया है, जिन्हें ‘कनाडा का ट्रंप’ कहा जाता है।

उन्होंने ट्रूडो की उदार आव्रजन नीति को सारी समस्याओं के लिए दोषी ठहराया है। इस बीच अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी ने कनाडा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

ट्रंप कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान कर चुके हैं। इससे कनाडा में आशंकाएं हैं।

उधर ट्रंप लगातार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाने की सलाह दे रहे हैं, जिससे कनाडा के नागरिकों का आत्म-सम्मान चोटिल हुआ है।

ट्रूडो के पास इन नई चुनौतियों का कोई जवाब नहीं था। ऐसे में उनके विरोधियों के स्वर लगातार तीखे हो रहे थे। उससे बनी परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पारी खत्म घोषित कर देने में ही अपनी भलाई समझी।

By NI Editorial

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