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ट्रंपिज्म के साये में

Donald TrumpImage Source: ANI

ट्रंपिज्म आगे क्या रूप लेगा, इसके कैसे-कैसे रंग दिखेंगे और उनके क्या नतीजे हो सकते हैं, इस पर कयास लगाते हुए दावोस आए दुनिया भर के रसूखदार लोग अपने देश लौट गए। कयासों का दौर अभी जारी रहने वाला है।

स्विट्जरलैंड का लग्जरी रिजॉर्ट- दावोस हर वर्ष दुनिया के बड़े पूंजीपतियों और राजनेताओं के जमावड़े का स्थल बनता है। इस वर्ष भी तकरीबन 130 देशों के 3000 से ज्यादा हाई प्रोफाइल लोग वहां जुटे। मगर चर्चाओं का माहौल कुछ अलग दिखा। हाल में चलन था कि दावोस पहुंच कर विश्व के कर्ता-धर्ता वैश्विक गरीबी मिटाने, आर्थिक गैर-बराबरी घटाने, और जलवायु बचाने की बातचीत में अपनी जिंदगी के कुछ घंटे खर्च करेंगे। मगर इस बार ये मुद्दे पृष्ठभूमि में रहे। जबकि हर हालिया वर्ष की तरह ब्रिटिश गैर-सरकारी संस्था- ऑक्सफेम ने बढ़ती आर्थिक विषमता पर एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया- ‘2023 की तुलना में 2024 में अरबपतियों का धन तीन गुना अधिक तेजी से बढ़ा। एक दशक के अंदर कम-से-कम पांच व्यक्ति डॉलर खरबपति बनने जा रहे हैं। इस बीच आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन और युद्धों का परिणाम यह है कि 1990 के बाद से गरीबी रेखा के नीचे मौजूद लोगों की संख्या में शायद ही कोई बदलाव आया है।’ मगर ऐसी ‘तुच्छ’ बातों की चिंता छोड़ राजनेताओं और उद्योगपतियों ने इस बार चर्चा का मुख्य विषय रखा थाः मेधा युग में सहयोग। तो कृत्रिम मेधा- यानी एआई में निहित संभावनाओं और इससे जुड़ी आशंकाओं पर खूब बात हुई।

इसके बावजूद वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (डब्लूईएफ) की तरफ से आयोजित चार दिन के सम्मेलन पर ट्रंप का साया हावी रहा। अंदेशे निराधार नहीं थे। आखिरी दिन जब अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन को संबोधित किया, तो आम बोलचाल की भाषा में यही कहा जाएगा कि उन्होंने सबको हड़का दिया। खास निशाना यूरोप और दुनिया भर के पूंजीपति रहे। यूरोपीय देशों को ट्रंप का साफ संदेश था कि अपना रक्षा बजट बढ़ाओ, वरना खतरों को खुद झेलो। पूंजीपतियों को पैगाम था कि निवेश अमेरिका में करो, वरना अमेरिका के नए टैरिफ राज का सामना करने को तैयार रहो। ट्रंपिज्म आगे क्या रूप लेगा, इसके कैसे-कैसे रंग दिखेंगे और उनके क्या नतीजे हो सकते हैं, इस पर कयास लगाते हुए दावोस में तफरीह करने आए रसूखदार लोग अपने देश लौटे। कयासों का दौर अभी जारी रहने वाला है।

By NI Editorial

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