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Editorial

अर्थव्यवस्था के अंतर्विरोध

ByNI Editorial,
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अगर वास्तविक अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बढ़ रही हैं, तो जीडीपी में ऊंची वृद्धि दर कहां से आ रही है? जाहिर है, यह शेयर, बॉन्ड और ऋण बाजार से आ रही है। यह एक बड़ा अंतर्विरोध है, जिसे समझना आज सर्वाधिक आवश्यक है।

ये तीन ताजा आर्थिक सुर्खियां हैः जुलाई से सिंतबर की तिमाही में भारत में नए निवेश की घोषणा में इस वित्त वर्ष कि पहली तिमारी की तुलना में 13 प्रतिशत और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की तुलना में 21.5 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके पहले इस वर्ष पहली तिमाही यानी मार्च से जून तक उसके पहले वाली तिमाही की तुलना में नए निवेश की घोषणाओं में 45.8 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। इनके बीच चिंता का पहलू प्राइवेट निवेश में आई भारी गिरावट है। दूसरी हेडलाइन बीते अगस्त महीने के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक से संबंधित है। बताया गया था कि इस सूचकांक 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मगर अब एक अखबार ने बताया है कि इस सकल बढ़ोतरी के अंदर मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के एक तिहाई हिस्से का हाल यह रहा कि उसमें वृद्धि दर आधार वर्ष यानी 2011-12 के अगस्त में दर्ज हुई वृद्धि से भी नीचे चली गई। इस सेक्टर में वस्त्र, चमड़ा, लकड़ी, कागज, तंबाकू, कृत्रिम धातु, प्रिंटिंग आदि शामिल हैं। लेकिन ऐसी बदहाली सिर्फ पुराने दौर के उद्योगों की नहीं है। बल्कि यह भी ताजा सुर्खी है कि सूचना तकनीक (आईटी) कंपनियों में हजारों लोगों को काम से हटा दिया गया और कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोक दी गई है। ऐसा आईटी उद्योग की संभावनाएं कमजोर होने के आम अनुमान की वजह से है। अनुमान में गिरावट मांग और आपूर्ति से जुड़े मसलों के कारण आई है। अगर अब दूसरी तरफ निगाह डालिए। पिछले हफ्ता शेयर मार्केट ऊंचाइयों पर बंद हुआ। उधर भारत के जीडीपी में 6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर दर्ज होने का अंदाजा लगातार बना हुआ है। खुद प्रधानमंत्री ने आईएमएफ के इस अनुमान को ट्विट किया कि इस वर्ष भी भारत सबसे ऊंची वृद्धि दर करने वाला देश रहेगा। तो अगर वास्तविक अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बढ़ रही हैं, तो यह वृद्धि दर कहां से आ रही है? जाहिर है, यह शेयर, बॉन्ड और ऋण बाजार से आ रही है। संभवतः शेयर बाइबैक जैसी बढ़ती प्रवृत्तियों के कारण वहां की कुछ वृद्धि भी कृत्रिम हो। स्पष्टतः इस अंतर्विरोध को समझना आज सर्वाधिक आवश्यक है।

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