पाकिस्तान में नेशनल असेंबली भंग हो गई है, लेकिन इस समय वहां का सियासी माहौल इतना मटमैला हो गया है कि उसके बीच नए आम चुनाव की बात सिर्फ एक ड्रामा या उससे भी ज्यादा एक फर्जीवाड़ा मालूम पड़ती है।
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली भंग हो गई है, लेकिन वहां के प्रावधानों के मुताबिक तटस्थ सरकार ने कार्यभार नहीं संभाला है। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक नेशनल असेंबली भंग होने के बाद 90 दिन के अंदर आम चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन शहबाज शरीफ सरकार के मंत्री खुलेआम बयान दे रहे हैं कि इस बार संभवतः ऐसा करना संभव ना हो। इसी बीच अमेरिका की एक वेबसाइट ने उस गुप्त संदेश का मजमून प्रकाशित कर दिया है, जिससे साफ होता है कि पिछले साल इमरान खान की सरकार को गिराने में अमेरिका ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। अभी जबकि खान प्रधानमंत्री थे, तभी उन्होंने वॉशिंगटन स्थित पाकिस्तानी राजदूत से ऐसा संदेश मिलने की बात उठाई थी। तब से वे लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार अमेरिकी इशारे पर पाकिस्तान की सेना और खुफिया तंत्र ने गिराई। अब उस संदेश को द इंटरसेप्ट नाम की वेबसाइट ने प्रकाशित किया है।
इन सारे संदर्भों के कारण पाकिस्तान का सियासी माहौल इतना मटमैला हो गया है कि उसके बीच आम चुनाव की बात सिर्फ एक ड्रामा या उससे भी ज्यादा फर्जीवाड़ा मालूम पड़ती है। आखिरकार नेशनल असेंबली के भंग होने से ठीक पहले इमरान खान को चुनावी मैदान से हटाने का ऐसा न्यायिक तरीका अपनाया गया, जिसकी साख सिरे से संदिग्ध है। निर्विवाद रूप से देश के सबसे लोकप्रिय नेता खान को बतौर प्रधानमंत्री मिले उपहार को सरकारी खजाने में जमा ना कराने के कथित मामले में दोषी ठहरा कर जेल भेजा जा चुका है। साथ ही उनके पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा चुकी है। इसके बाद चुनाव में कोई मुकाबला ही नहीं बचा है। हालांकि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हों, तो संभव है कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तरहीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का बचा-खुचा हिस्सा चुनाव लड़े और दुनिया को चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिलें। लेकिन वह अगर बहुत बड़ा है। फिलहाल, संभावना यही है कि जब कभी चुनाव हुए, उनसे सेना और खुफिया तंत्र द्वारा मैनेज किए हुए नतीजे सामने आएंगे। लेकिन उनकी दुनिया के लोकतांत्रिक जनमत के बीच कोई साख नहीं होगी।