Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

जी-7 में अनबन

जाहिर हुआ कि विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर जी-7 में आम सहमति का अभाव है। इसकी एक मिसाल यह भी है कि समूह के नेता अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़ कर अपने देश लौट गए।

ग्रुप-7 के कनानास्किस शिखर सम्मेलन में कोई संयुक्त विज्ञप्ति जारी नहीं हुई, जो जाहिर है, इसकी वजह सबसे धनी देशों के इस समूह में विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर आम सहमति का अभाव है। वहां हुई अनबन की एक मिसाल यह भी है कि समूह के नेता अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़ कर अपने देश लौट गए। जब उनकी वापसी के साथ चर्चा गर्म हुई कि ईरान-इजराइल युद्ध में आपात स्थिति के मद्देनजर ट्रंप वॉशिंगटन लौटे हैं। कई घंटों तक यह भी चर्चा में रहा कि वॉशिंगटन पहुंचते ही ट्रंप इस युद्ध में अमेरिका को शामिल करने के आदेश पर दस्तखत करेंगे। 

मगर शाम तक खुद ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि अभी वे ईरान को बातचीत का एक और मौका देने के मूड में हैं। मंगलवार को उन्होंने अपने देश को प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल करने का कोई निर्णय लिया भी नहीं। तो साफ है, मसला यह नहीं था। गौरतलब हैः जी-7 नेताओं ने सहमति के मुद्दों को लेकर एक बयान जारी किया। इसके अलावा एक वक्तव्य ईरान- इजराइल की लड़ाई के बारे में जारी किया गया। मगर यूक्रेन, जी-7 देशों के अंदरूनी आर्थिक संकट, ट्रंप प्रशासन की ओर से छेड़े गए व्यापार युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि मसलों पर आपसी मतभेद के साफ संकेत भी वहां मिले। 

सहमति का एक और बिंदु चीन को घेरना है। मगर ट्रंप के टैरिफ वॉर ने स्थिति यहां भी उलझा दी है। यूरोपीय देश, और यहां तक कि जापान भी, इन परिस्थितियों में चीन से खुला टकराव बढ़ाना नहीं चाहते। अमेरिकी बाजार में आई रुकावटों की भरपाई वे चीनी बाजार में पहुंच बना कर करना चाहते हैं। इसलिए भाषणों में तो चीन की चिंता छाई रही, मगर पर ठोस और दो-टूक बयान जारी नहीं हुआ। उलटे ट्रंप ने जी-8 से 2014 में रूस को निकालने (जिसके बाद ये समूह जी-7 हो गया) की कड़ी आलोचना कर दी। उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर चीन इस समूह में शामिल हो, तो उन्हें कोई एतराज नहीं होगा। तो जाहिर है, कनानास्किस सम्मेलन जी-7 की पहचान को ही भ्रामक बना गया है।

Exit mobile version