बुजुर्गों को आत्म-सम्मान की जिंदगी मिले, इसके लिए पर्याप्त और सुविधाजनक पेंशन व्यवस्था अनिवार्य है। मगर भारत में ऐसी बहुत छोटी आबादी है, जिन्हें यह लाभ मिला हुआ है। नतीजतन, वैश्विक पेंशन सूचकांक में भारत सबसे नीचे आया है।
रिटायरमेंट के बाद- यानी वृद्धावस्था में- एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करने की दुनिया में मौजूद व्यवस्थाओं की सूची भारत सबसे नीचे आया है। अमेरिकी संस्थाओं- मर्सर और सीएफए इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार ग्लोबल पेंशन इंडेक्स- 2025 में भारत को डी ग्रेड में रखा गया है, जिसमें फिलीपीन्स और थाईलैंड जैसे देश हैं। दूसरी तरफ नीदरलैंड्स, आईसलैंड, सिंगापुर, डेनमार्क आदि सूची में सबसे ऊपर आए हैं। सूचकांक पेंशन व्यवस्था की पर्याप्तता, टिकाऊपन और साख के आधार पर तैयार किया गया। इसमें अधिकतम 100 अंक पाना संभव है, जिसमें भारत को महज 43.8 अंक मिले। इस तरह वह सबसे नीचे आया। रिपोर्ट में पर्याप्तता के आधार पर भारतीय व्यवस्था को कमजोर बताया गया है।
कहा गया है कि यहां व्यक्ति की जरूरतों के लिहाज से पेंशन संबंधी लाभ बहुत कम हैं। टिकाऊपन की कसौटी पर भी भारतीय व्यवस्था को कमजोर ठहराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी आबादी की बढ़ती उम्र और वित्तीय बाधाओं के कारण मौजूदा पेंशन व्यवस्था से भी भविष्य में राजकोष पर दबाव बढ़ने वाला है। विश्वसनीयता की कसौटी पर भारतीय व्यवस्था की सूरत कुछ बेहतर उभरी है। मगर पेंशन व्यवस्था के संचालन, पारदर्शिता और विनियमन के मामले में दुनिया में जो बेहतरीन व्यवस्थाएं हैं, उनसे तुलना करें, तो इन बिंदुओं पर भी भारत की छवि कमजोर ही नजर आती है।
रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि भारत की विशाल आबादी में उम्रदराज हो रहे लोगों की संख्या बढ़ रही है। उन लोगों को सार्थक वित्तीय सहायता मिले, इस लिहाज से भारत में मौजूद स्थितियां असंतोषजनक हैं। तो सामाजिक सुरक्षा के इस महत्त्वपूर्ण पहलू पर भारत की ऐसी सूरत है। कहा जाता है कि समाज की संवेदनशीलता एवं विकास को परखने का एक पैमाना यह है कि वह अपने बुजुर्गों से कैसा व्यवहार करता है। बुजुर्गों को आत्म-सम्मान की जिंदगी मिले, इसके लिए आज के दौर में पर्याप्त और सुविधाजनक पेंशन व्यवस्था अपरिहार्य है। मगर भारत में ऐसी बहुत छोटी आबादी है, जिन्हें यह लाभ मिला हुआ है। असंगठित क्षेत्र के लिए इस संबंध में कोई सोच ही नहीं है। अतः भारत की विशाल आबादी भगवान भरोसे वृद्धावस्था काटने को मजबूर है।
