nayaindia Indian model of censorship सेंसरशिप का ‘भारतीय मॉडल’
Editorial

सेंसरशिप का ‘भारतीय मॉडल’

ByNI Editorial,
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एक रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया की सेंसरशिप के भारतीय मॉडल को अब कई देशों में अपनाया जा रहा है। कहानी यह है कि नए नियमों तथा सरकारी मशीनरी का उपयोग कर सोशल मीडिया कंपनियों को भी झुकाने में भारत सरकार सफल रही है।

अमेरिका के प्रमुख अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने एक लंबी रिपोर्ट छापी है, जिसका शीर्षक और सार है कि सोशल मीडिया की सेंसरशिप के लिए भारत की वर्तमान सरकार ने जो मॉडल तैयार किया, उसे अब दुनिया के कई देशों में अपनाया जा रहा है। जिन देशों के नाम का जिक्र इस सिलसिले किया गया है, उनमें म्यांमार और बांग्लादेश भी हैं। रिपोर्ट गुजरे छह-सात वर्षों की कहानी है, जिसमें नए नियम और कानून बनाकर तथा सरकारी मशीनरी का उपयोग कर विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों को भी झुकाने में भारत सरकार सफल रही। इस रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर (जिसका नाम अब एक्स हो गया है) ने कुछ समय तक प्रतिरोध किया, लेकिन आखिरकार उसने भी हथियार डाल दिए। स्पष्टतः भारत के लोग इस कहानी को उस बड़ी परियोजना के हिस्से के रूप में लेंगे, जिसके तहत नागरिकों- खासकर असहमत तबकों की निगरानी और उनकी निजता में दखल की शिकायतें बढ़ती चली गई हैं। इस सिलसिले में आई ताजा खबर यह है कि अब जमानत पर रिहा कई आरोपियों पर नजर रखने के लिए भारत में जीपीएस ट्रैकर एंक्लेट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक खबर के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऐसा एक ट्रैकर आतंकवाद के एक मामले में आरोपी गुलाम मोहम्मद भट्ट के टखनों पर लगाया है। जम्मू स्थित स्पेशल एनआईए अदालत ने उनकी अर्जी पर उन्हें अंतरिम जमानत तो दे दी है, लेकिन उनकी निगरानी की शर्त भी जोड़ दी। अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वो आरोपी के टखनों में जीपीएस ट्रैकर लगा दे और उसे अंतरिम जमानत पर रिहा कर दे। यह पहली बार है जब भारत में आरोपियों की निगरानी के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका कोई कानूनी आधार मौजूद है या नहीं, इसको लेकर विधि विशेषज्ञों में मतभेद उभरे है। यहां मुद्दा यह नहीं है कि आतंकवाद के आरोपी की निगरानी होनी चाहिए या नहीं। प्रश्न यह है कि बिना कानून बनाए और इसकी सीमाएं तय किए यह चलन शुरू होता है, तो देर-सबेर इसके दायरे में आम आरोपी या सामान्य लोग भी आ सकते हैं। इसलिए ऐसे उपकरणों के उपयोग की कानूनी सीमा तय होनी चाहिए।

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