indian rupee: रुपया कमजोर होने के कई नुकसान हैं। इससे देश में आयात महंगा होता है। उससे महंगाई दर और बढ़ती है। उधर रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक अपने भंडार से डॉलर बेच रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है।
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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। 27 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते में यह 4.11 अरब घटकर 640.28 अरब डॉलर रहा।
इससे पहले वाले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.48 अरब डॉलर घटकर 644.39 अरब डॉलर पर आ गया था। सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
मगर तब से गिरावट शुरू हो गई। कारण रुपये की कीमत संभालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप है। इसके लिए बैंक लगातार बाजार में डॉलर बेच रहा है।
रुपये की कीमत 2014 से अब तक करीब 43 फीसदी गिर चुकी है। 2025 में भी सुधार की उम्मीद नहीं हैं। 2014 में प्रति डॉलर 60 रुपये का था। 2024 के अंत में ये कीमत 85.61 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक गिर गई।
भारत में GDP की वृद्धि दर 5.8 फीसदी
उसके बाद भी गिरावट जारी है। 2024 में अमेरिका की अंदरूनी घटनाओं के साथ-साथ तेजी से बदली वैश्विक परिस्थितियों ने भारत के साथ-साथ अनेक देशों की मुद्राओं को प्रभावित किया।
डॉलर की मजबूती ने रुपये और अन्य मुद्राओं पर निरंतर दबाव बना रखा है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक- फेडरल रिजर्व की नीतियों ने भी डॉलर को मजबूत किया है।
उससे अमेरिकी बॉन्ड की मांग बढ़ी है। बहरहाल, भारत के संदर्भ में वजह सिर्फ बाहरी हालात नहीं हैं। बल्कि अंदरूनी अर्थव्यवस्था की कमजोरी और देश के बढ़ते व्यापार घाटे का भी इसमें योगदान है।
2024 की तीसरी तिमाही में भारत में जीडीपी की वृद्धि दर महज 5.8 फीसदी रही, जो 7 फीसदी के अनुमान से काफी कम है।
इसके अलावा नवंबर 2024 में व्यापार घाटा 37.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल नवंबर में 20.6 अरब डॉलर ही था।
फिर भारत में मुद्रास्फीति की ऊंची दर भी रुपये की कमजोरी का कारण बनी है। रुपया कमजोर होने के कई नुकसान हैं। इससे देश में आयात महंगा होता है।
उससे महंगाई दर और बढ़ती है। इस तरह भारत एक दुश्चक्र में फंसता नजर रहा है। उधर रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक अपने भंडार से डॉलर बेच रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है।