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एकता में बल है

kisan andolanImage Source: ANI

kisan andolan: हड़ताल के जरिए डड्डेवाल जो संदेश देना चाहते थे और जो प्रभाव पैदा करना चाहते थे, वह हो चुका है। इसलिए सही वक्त है, जब आगे संघर्षों में अधिक प्रभावशाली योगदान के मकसद को ध्यान में रखते हुए वे अनशन समाप्त करें।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं की एसकेएम- अराजनीतिक गुट से एकता वार्ता शुरू करना सकारात्मक संकेत है। एसकेएम ने अपने रुख में लचीलापन दिखाया है, जिससे यह वार्ता आगे बढ़ पा रही है।

एसकेएम नेताओं की यह सोच वाजिब है कि भले इन दोनों गुटों में वैचारिक मतभेद हों, लेकिन उनके मकसद एक हैं। ऐसे में एकगुट संघर्ष सही रास्ता है।

इसके बावजूद अराजनीतिक गुट का रुख अधिक अड़ियल दिखता है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष के आरंभ में अराजनीतिक गुट के अलग मोर्चा लगा लेने से किसान आंदोलन को नुकसान हुआ।

इस गुट ने अधिक आक्रामक रुख अपना कर किसानों के मुद्दों पर ‘असली’ संघर्षरत गुट होने का संदेश किसानों को देने की कोशिश की।

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इसमें कामयाबी नहीं मिली, तो इस समूह के नेता जगजीत सिंह डड्डेवाल आमरण अनशन पर बैठ गए। 50 दिनों की भूख हड़ताल से उनकी सेहत बिगड़ते हुए चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है।

लेकिन केंद्र ने उनकी खोज-खबर नहीं ली है। साफ है कि लड़ाई राजनीतिक-अर्थनीति से जुड़े मसलों पर हो, तो आक्रामक रुख या व्यक्तिगत बलिदान की रणनीति कारगर नहीं होती।

ऐसे संघर्षों को उन नीतियों से अलग-अलग रूप में प्रभावित विभिन्न समूहों की व्यापक एकता के जरिए ही आगे बढ़ाया जा सकता है।(kisan andolan)

ये बात अराजनीतिक गुट समझे, तो अब 18 जनवरी को होने वाली वार्ता से किसान संगठनों की एकता की जमीन तैयार हो सकती है।

संघर्ष का नया मोर्चा किसानों के सामने

इस बीच किसान नेताओं को डड्डेवाल को अनशन समाप्त करने पर राजी करने का प्रयास करना चाहिए। लंबी भूख हड़ताल से डड्डेवाल जो संदेश देना चाहते थे और जो प्रभाव पैदा करना चाहते थे, वह हो चुका है।

यह सही वक्त है, जब वे आगे संघर्षों में अधिक प्रभावशाली योगदान करने के मकसद को ध्यान में रखते हुए अनशन समाप्त करें।

इस बीच केंद्र सरकार ने कृषि मार्केटिंग के बारे में नया नीति प्रारूप जारी कर किसानों के सामने एक नई चुनौती पेश कर दी है।(kisan andolan)

एसकेएम ने कहा है कि यह रद्द हुए तीन कृषि कानूनों को परदे के पीछे से वापस लाने की कोशिश है। तो संघर्ष का एक नया मोर्चा किसानों के सामने है।

By NI Editorial

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