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ऐसा अविश्वास नहीं देखा

बने हालात के मद्देनजर सवाल उठा है कि क्या आज घोषित होने वाले चुनाव परिणाम को समाज के हर हलके में पूरे यकीन के साथ सहजता से स्वीकार किया जाएगा? विचारणीय यह है कि देश में राजनीतिक अविश्वास का ऐसा माहौल क्यों बना है?

लोकसभा चुनाव के आज जाहिर होने वाले परिणाम चाहे जो हों, लेकिन जिस माहौल में ये नतीजे घोषित हो रहे हैं, भारतीय लोकतंत्र के लिए वह गहरी चिंता का कारण है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जिस तरह अविश्वास की खाई बढ़ी है, उसे देखते हुए आने वाले दिनों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सुचारू अमल की उम्मीद बेहद कमजोर हो गई है। मतदान पूरा होने के एक दिन बाद इंडिया गठबंधन और सत्ताधारी एनडीए- दोनों के प्रतिनिधिमंडल निर्वाचन आयोग से मिलने गए। इंडिया एलायंस ने पोस्टल बैलेट की गिनती के तरीके में बदलाव पर एतराज जताया और आयोग से मांग की कि मतगणना संबंधी अपने नियमों पर वह सख्ती से अमल सुनिश्चित करे। इस गठबंधन के सदस्यों ने चुनाव प्रक्रिया संबंधी कई संदेह सार्वजनिक रूप से व्यक्त किए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल के बाद एनडीए का दल आयोग के पास गया। उसने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल और ‘दुर्भावना से प्रेरित’ सिविल सोसायटी संगठन वर्तमान चुनाव की साख पर आंच लगाने की कोशिश कर रहे हैं। एनडीए ने कहा कि “ऐसे प्रयासों का निशाना हमारी लोकतंत्रिक संस्थाएं हैं और इनसे सार्वजनिक व्यवस्था एवं चुनाव प्रणाली में भरोसे के लिए गंभीर जोखिम” पैदा हो सकते हैं।

विपक्ष की तरफ से पहले ही निर्वाचन आयोग पर सत्ता पक्ष के हित में काम करने और आम चुनाव में उसे समान धरातल मुहैया ना कराने जैसे इल्जाम लगाए जा चुके हैं। मतदान के बाद विपक्ष के एक हिस्से की तरफ से सत्ता पक्ष पर एग्जिट पोल्स को प्रायोजित कर चुनाव में ‘हुई धांधली’ को स्वीकार्य बनाने की कोशिश का आरोप लगाया गया। इन हालात के मद्देनजर सवाल उठा है कि क्या आज घोषित होने वाले चुनाव परिणाम को समाज के विभिन्न हलकों में पूरे यकीन के साथ सहजता से स्वीकार किया जाएगा? यह सबके लिए विचारणीय है कि देश में राजनीतिक अविश्वास का ऐसा माहौल क्यों बना है? क्या इसके लिए हालिया वर्षों में पक्ष- विपक्ष के बीच बढ़ती गई संवादहीनता एक प्रमुख वजह है? कारण जो भी हों, उनका तुरंत निवारण जरूरी है। इसके लिए पहल की जिम्मेदारी आज विजयी होने वाले पक्ष पर होगी।

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