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इस उदारता का राज़?

देश में प्याज की कीमत नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा रखी है। लेकिन इसी बीच खबर है कि यूएई के लिए निर्यात की इजाजत दे दी गई है, जिससे वहां के व्यापारी भारी मुनाफा कमा रहे हैँ। 

इस खबर ने किसानों सहित अनेक लोगों को चौंकाया है कि प्याज के निर्यात पर जारी प्रतिबंध के बीच केंद्र सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रति रहस्यमय उदारता दिखाई है। सरकार ने यूएई के अनुरोध को अपवाद की श्रेणी में रखते हुए उसके लिए 24,400 मिट्रिक टन प्याज के निर्यात की इजाजत दी है। आश्चर्य इसलिए और भी ज्यादा जताया गया है कि ये निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की वर्तमान कीमत से कम दर पर किया जा रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात के लिए खरीदे गए प्याज पर भारतीय किसानों को 12 से 15 रुपए प्रति किलो की दर से भुगतान हुआ है। अगर परिवहन और पैकेजिंग के खर्चों को शामिल कर लिया जाए, तो निर्यात की आखिरी कीमत 40-45 रुपये प्रति किलो बैठती है। जबकि यूएई में यह प्याज 120 रुपए प्रति किलो से भी ज्यादा दर पर बिक रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत, पाकिस्तान और मिस्र जैसे अनेक व्याज उत्पादक देशों के प्याज निर्यात पर रोक लगा देने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज लगातार महंगा बना हुआ है।

इसका यूएई पर बहुत खराब असर हुआ, जहां प्याज के दाम आसमान पर पहुंच गए। तब वहां की सरकार ने भारत से संपर्क किया। नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले महीने तीन हजार टन प्याज के निर्यात की मंजूरी दी। बताया जाता है कि भारत से लगभग 600 टन प्याज यूएई पहुंच भी चुका है। आरोप है कि जिस रेट पर निर्यात हो रहा है, वह यूएई के आयातकों के लिए वरदान साबित हुआ है। वे अब तक ही लगभग 300 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा चुके हैँ।

भारतीय निर्यातकों के मुताबिक उन्हें बताया गया कि निर्यात दोनों सरकारों के बीच बनी सहमति के आधार पर हो रहा है, लेकिन यूएई में आयात निजी व्यापारी और सुपरमार्केट चेन कर रहे हैँ। इसलिए ये प्रश्न उठा है कि अपने किसानों और उपभोक्ताओं की कीमत पर यूएई के प्रति भारत सरकार ने यह खास उदारता क्यों दिखाई है? साथ ही इससे पहले से जारी ये शिकायत और गहराएगी कि फसलों के निर्यात से संबंधित सरकारी नीति में स्थिरता का पूरा अभाव है।

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