पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने चर्च और ईसाईयों पर हुए हमले को “शैतानी व्यवहार” बताया है और जलाए गए चर्चों के पुनर्निर्माण का वादा किया है। कहा है कि उनकी सरकार ईसाई, हिंदू, सिख और अहमदिया समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
यह हैरतअंगेज लेकिन सच है कि धार्मिक कट्टरता, सांप्रदायिक विद्वेष और हिंसा के आज के दौर में राहत देने वाली ऐसी खबर पाकिस्तान से आई है। पाकिस्तान की सरकार और न्याय व्यवस्था का सांप्रदायिक हिंसा से पीड़ित हुए ईसाइयों के पक्ष में खड़ा होना एक बड़ी बात है। पिछले दिनों ईश निंदा के एक कथित मामले को लेकर कट्टरपंथी मुसलमानों ने ईसाई समुदाय के घरों और चर्च पर हमले किए थे। चर्च को जला दिया गया था। इस घटना से पाकिस्तान का ईसाई समुदाय हिल गया था। लेकिन उसे पहला ढाढस तब बंधा, जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया। अब पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने चर्च और ईसाईयों पर हुए हमले को “शैतानी व्यवहार” बताया है और जलाए गए चर्चों के पुनर्निर्माण का वादा किया है। हक ने सोमवार को पंजाब के जरांवाला शहर का दौरा किया और यहां ईसाई समुदाय से मिले। इसी जगह पर ईसाइयों को निशाना बनाया गया था।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी ने सबका ध्यान खींचा है कि “यह पाकिस्तानी समाज में मौजूद एक बीमारी को दर्शाता है।” उधर पुलिस ने बताया है कि इस घटना के सिलसिले में 160 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनमें भीड़ का नेतृत्व करने वाले आरोपी भी शामिल हैं। उन पर जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें आतंकवाद से संबंधित धारा भी है। प्रशासन पहले ही प्रभावित परिवारों को 20 लाख पाकिस्तानी रुपये की सहायता देने की घोषणा कर चुका है। जिन परिवारों का घर जलाया गया, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। ये दंगे एक स्थानीय ईसाई परिवार द्वारा कुरान के अपमान की अफवाहों से भड़के। उसके बाद धार्मिक चरमपंथियों की एक भीड़ ने ईसाई बस्ती पर हमला कर दिया। इस घटना के कारण अल्पसंख्यकों में डर और असुरक्षा की भावना है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने टेलीविजन पर एक विशेष प्रसारित कर कहा कि उनकी सरकार ईसाई, हिंदू, सिख और अहमदिया समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। ये बातें आज के व्यग्र समय में राहत और मरहम की तरह मालूम पड़ती हैँ।