अर्थव्यवस्था का मूल्य बढ़ना और उसके आधार पर विश्व में दर्जा बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका श्रेय कोई नेता ले, तो उससे एक अजीबोगरीब संदेश जाता है। बहरहाल, अब प्रधानमंत्री से अपेक्षित है कि वे कुछ अन्य गारंटियां भी दें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने इसे “मोदी की गारंटी” के रूप में लेने को कहा। 2019 में चुनाव जीतने के बाद मोदी ने अपने मौजूदा कार्यकाल में भारत की पांच ट्रिलियन की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य घोषित किया था। लेकिन अब जबकि कार्यकाल अपने समाप्ति की तरफ है, अभी देश की अर्थव्यवस्था चार ट्रिलियन की भी नहीं हुई है। वैसे भी अर्थव्यवस्था का मूल्य बढ़ना और उसके आधार पर विश्व में किसी देश का दर्जा बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका श्रेय कोई नेता ले, तो उससे एक अजीबोगरीब संदेश ही जाता है। हकीकत यह है कि आज भी अगर प्रति व्यक्ति जीडीपी के पैमाने पर देखें, भारत का स्थान दुनिया में 128वां है। बहरहाल, चूंकि प्रधानमंत्री ने एक गारंटी दी है, जिसका चुनावी महत्त्व है, तो यह अपेक्षित है कि वे कुछ अन्य गारंटियां भी दें। मसलन, यह कि देश में बढ़ने वाली संपदा का अधिक न्यायोचित वितरण सरकार सुनिश्चित नहीं करती है, तो अर्थव्यवस्था में वृद्धि आम लोगों के लिए बेमतलब ही बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री से अपेक्षा है कि वे इसके लिए एक विश्वसनीय योजना पेश करें। ऐसा करते हुए उन्हें कुछ खास समस्याओं पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। मसलन, इनसानों से सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करवाना बंद करने की सालों से उठ रही मांगों के बावजूद यह अमानवीय काम आज भी जारी है। कुद मोदी सरकार ने यह संसद में माना है और बताया है कि इसमें हर साल कई लोगों की जान जा रही है। लोकसभा के चालू सत्र में ही सरकार ने बताया है कि पिछले पांच सालों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करने के दौरान पूरे देश में 339 लोगों की मौत के मामले दर्ज किये गए। इसका मतलब है इस काम को करने में हर साल औसतन 67.8 व्यक्तियों की जान गई। कानून के मुताबिक सफाई एजेंसियों के लिए सफाई कर्मचारियों को सुरक्षात्मक उपकरण देना अनिवार्य है, लेकिन एजेंसियां अक्सर ऐसा करती नहीं हैं। क्या इस स्थिति के रहते तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने से देश का गौरव सचमुच बढ़ सकेगा?