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पुलिस और आम लोग

Saif Ali KhanImage Source: ANI

Saif Ali Khan: क्या सैफ अली खान पर हमले की रहस्यमय परिस्थितियों के कारण आरंभ में पुलिसकर्मी घटना की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पाए?

जब जाहिर हुआ कि शिकार बना व्यक्ति मशहूर चेहरा है, संभवतः तब जाकर पुलिसकर्मी चौकस हुए। मगर यही मुद्दा है।

अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले के मामले में आखिरकार पुलिस ने एक व्यक्ति को पकड़ने का एलान किया है। कैसे यूपीआई पेमेंट और आधुनिक तकनीक के जरिए की गई पड़ताल से उसके सूत्र पुलिस ने ढूंढे, इसकी रिपोर्ट मीडिया में विस्तार से दी गई है।

लेकिन एक दिन पहले तक खुद पुलिस के उच्च पदस्थ अधिकारी इस कांड में मुंबई के बांद्रा थाने की पुलिस की आरंभिक लापरवाहियों की चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा था कि घटना के बाद आरंभिक चार घंटों में बांद्रा पुलिस ने चुस्ती दिखाई होती, तो आरोपी को तुरंत ही पकड़ लिया गया होता।

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बांद्रा पुलिस ने ना तो गश्ती दलों को आगाह किया और ना ही पास-पड़ोस के थानों एलर्ट भेजा। उसी क्रम में अधिकारियों ने कहा कि पुलिस का ध्यान अब ज्यादातर साइबर अपराधों और वीआईपी सुरक्षा पर टिका रहता है।

इसलिए सड़कों पर छिनतई, पॉकेटमारी या छोटी-मोटी हिंसा जैसे आम अपराध पर वह ध्यान नहीं दे पाती।

सैफ मशहूर चेहरा हैं। मगर मुमकिन है कि शुरुआत में पुलिसकर्मी यह अंदाजा ना लगा पाए हों कि उन जैसी बड़ी शख्सियत चाकूबाजी जैसी “साधारण” घटना का शिकार होगा।

वैसे भी सैफ हुए हमले की कई गुत्थियां अभी सुलझनी हैं। सचमुच जिस आसानी से अपराधी उनके घर तक पहुंच गया, वह कम रहस्यमय नहीं है।

फिर ये बात भी गले नहीं उतरती कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वे ऑटो रिक्शा से अपने नाबालिग बेटे के साथ अस्पताल गए। क्या इन रहस्यमय परिस्थितियों के कारण पुलिसकर्मी घटना की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पाए?(Saif Ali Khan)

जब ये जाहिर हुआ कि शिकार बना व्यक्ति एक मशहूर चेहरा है, संभवतः तब जाकर पुलिसकर्मी चौकस हुए। मगर यही मुद्दा है।

अगर घटना सैफ अली खान नहीं, किसी आम शख्स के साथ हुई होती, तो पुलिस उसे “साधारण” जुर्म मान कर रूटीन जांच के हवाले कर देती!(Saif Ali Khan)

अगर यह आज की हकीकत है, तो उसका मतलब यह होगा कि पुलिस जुर्म की गंभीरता शिकार बने व्यक्ति की हैसियत से समझने की सोच का शिकार होती जा रही है। यह आम लोगों के लिए खतरे की घंटी है।

By NI Editorial

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