अब से यूएपीए के तहत किसी को गिरफ्तार करते वक्त पुलिस को उसकी गिरफ्तारी का आधार बताना होगा और संबंधित व्यक्ति को कानूनी सलाह लेने का अवसर उपलब्ध करवाना होगा। सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तारियों के मामले में एक महत्त्वपूर्ण संरक्षण का प्रावधान किया है। कहा जा सकता है कि पिछले अक्टूबर में कोर्ट ने मनीलॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के सिलसिले में जो संरक्षण दिया था, उसका अब यूएपीए के मामलों में भी विस्तार कर दिया गया है। संरक्षण यह है कि इस कानून के तहत किसी को गिरफ्तार करते वक्त गिरफ्तारी का आधार उसे बताना होगा और कानूनी सलाह लेने का अवसर उसे उपलब्ध करवाना होगा। चूंकि न्यूज क्लिक वेबसाइट के संस्थापक संपादक प्रवीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के समय इन दोनों शर्तों का पालन नहीं किया गया, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार दिया। इस निर्णय के बाद बुधवार शाम पुरकायस्थ नई दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हो गए। कोर्ट ने कहा कि पुरकायस्थ को गिरफ्तार करने से पहले रिमांड एप्लीकेशन की कॉपी उन्हें या उनके वकील को दी जानी चाहिए थी और उन्हें यह बताना चाहिए था कि उन्हें गिरफ्तार किस आधार पर किया जा रहा है। कोर्ट ने व्यवस्था दी कि सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त नहीं है। उसका आधार भी बताना होगा।
अदालत ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई होती, तो वह पुरकायस्थ को बिना शर्त रिहा करने का आदेश देती। लेकिन चार्जशीट दायर हो चुकी है, इसलिए उन्हें एक लाख रुपये का जमानती बॉन्ड भरने का आदेश दिया गया। पुरकायस्थ को पिछले तीन अक्तूबर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले न्यूज क्लिक के दफ्तर और कई कर्मचारियों के घरों पर छापे मारे गए थे। आरोप है कि न्यूजक्लिक ने चीन समर्थक प्रचार करने वाले एक अमेरिकी नागरिक से चंदा लिया और चीन का प्रचार किया है। अगस्त 2023 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम ने “चीनी प्रोपेगेंडा” फैलाने के लिए कई संगठनों सहित न्यूजक्लिक भी चंदा दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर न्यूज क्लिक पर छापे मारे और पुरकायस्थ को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया। उसके पहले न्यूज क्लिक के खिलाफ फरवरी 2021 में भी ईडी ने छापे मारे थे।