Telegram CEO arrested: जब दुरोव को फ्रांस में गिरफ्तार किया गया, तो कार्लसन ने कहा- ‘अभिव्यक्ति की आजादी हर जगह सिकुड़ रही है। भूतपूर्व फ्री वर्ल्ड पर अंधेरा तेजी से छा रहा है।’ स्पष्टतः यही वो बदलाव है, जिस कारण पश्चिम का सॉफ्ट पॉवर क्षीण हुआ है।
मेसेजिंग ऐप टेलीग्राम का डेटा साझा करने के लिए इसके संस्थापक पॉवेल दुरोव पर रूस में दबाव इतना बढ़ा कि छह वर्ष पहले उन्होंने देश को छोड़ने का निर्णय ले लिया। तब वे अमेरिका गए, लेकिन वहां भी माहौल अपने अनुकूल ना पाकर अंततः उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को ठिकाना बनाया। वहां से चलने वाले टेलीग्राम ऐप के आज एक अरब से ज्यादा यूजर हैं।
also read: सरकार को जातिगत जनगणना कराने के लिए मजबूर करेंगे : तेजस्वी यादव
ऐसा ऐप जो डेटा सरकार के साथ शेयर नहीं करती
गुजरे वर्षों में टेलीग्राम, सिग्नल और रंबल की ऐसे सोशल मीडिया ऐप की पहचान बनी है, जो अपना डेटा किसी सरकार के साथ साझा नहीं करते। यूक्रेन युद्ध, और गजा में इजराइली नरसंहार शुरू होने के बाद से ऐसे संकेत मिलने लगे कि खासकर टेलीग्राम और रंबल पर पश्चिम के प्रतिकूल गुटों का डेटा देने के लिए उन देशों में दबाव बढ़ रहा है। रंबल की कहानी यह है कि उसे चीन में प्रतिबंधित कर दिया गया, क्योंकि वह वहां सरकार के आलोचकों को मंच उपलब्ध करवाता था। अब बदला हुआ नज़ारा देखिए।
फ्रांस के एक हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया
रविवार को दुरोव को फ्रांस के एक हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया। इल्जाम लगाया गया है कि मादक पदार्थों के तस्कर संवाद आदान-प्रदान के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल करते हैं, जिनके डेटा को दुरोव की कंपनी सरकार से साझा नहीं कर रही है। उसी रोज पावलोवस्की ने एक्स (ट्विटर) पर बताया कि फ्रांस में उन पर भी डेटा शेयर करने का दबाव है और अब वे सुरक्षित यूरोप से बाहर निकल गए हैं। एक समय था, जब विचारों या मुक्त अभिव्यक्ति के लिए उत्पीड़ित लोग यूरोप की तरफ भागते थे।
आज हालात कहां पहुंच गए हैं? कुछ महीने पहले दुरोव ने कंजरवेटिव अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन को दिए इंटरव्यू में रूस में अपने उत्पीड़न की कहानी बताई थी। रविवार को जब दुरोव को फ्रांस में गिरफ्तार किया गया, तो कार्लसन ने कहा- ‘अभिव्यक्ति की आजादी हर जगह सिकुड़ रही है। भूतपूर्व फ्री वर्ल्ड पर अंधेरा तेजी से छा रहा है।’ यही वो बदलाव है, जिस वजह से पश्चिम का सॉफ्ट पॉवर क्षीण हुआ है, बाकी दुनिया पर उसका प्रभाव घटा है, और ऊंचे उसूलों की उसकी बातें वजन खोती चली गई हैँ।