छोटी-सी अवधि में ट्रंप ने अमेरिका की सूरत बदल दी है। उधर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने पुराने संबंधों को ताक पर रख कर ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर अमल किया है। इसका झटका यूरोप से लेकर यूक्रेन और एशिया तक को लगा है।
डॉनल्ड ट्रंप बुधवार को ह्वाइट हाउस में अपने 100 दिन पूरे करने जा रहे हैं। निर्विवाद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के अपने दूसरे कार्यकाल में लगभग रोज ही ट्रंप दुनिया भर में सुर्खियों में बने रहे हैं। इस दौरान ऐसे दिन कम ही होंगे, जिस रोज अखबारों के पहले पन्ने पर उनसे संबंधित कोई खबर ना छपी हो।
अंदरूनी तौर पर उन्होंने यह भ्रम तोड़ दिया है कि अमेरिका की संवैधानिक संस्थाएं इतनी मजबूत हैं कि कोई नेता वहां लोकतांत्रिक दायरे से बाहर नहीं जा सकता। हालात यहां तक पहुंचे कि पिछले हफ्ते उनके प्रशासन ने विस्कोंसिन राज्य में एक जज को ही गिरफ्तार कर लिया।
जज का जुर्म बस इतना था कि उन्होंने अवैध आव्रजक को देश-निकाला देने के सरकारी फैसले पर रोक लगाई थी। उसके साथ ही ट्रंप प्रशासन की अटार्नी जनरल पैम बोंडी ने दो-टूक एलान किया कि ऐसा निर्णय देने वाले सभी जजों को हिरासत में ले लिया जाएगा। ट्रंप ने आम समझ के मुताबिक कांग्रेस (संसद) और यहां तक कि राज्यों के दायरे में आने वाले विषयों में भी कार्यकारी आदेश के जरिए मन-माफिक निर्णय लिए हैं।
इस तरह अवरोध एवं संतुलन की मिसाल माने जाने वाले देश के बारे में दुनिया भर के लोगों को पुनर्विचार करने पर मजबूर किया है। वैसे ट्रंप सबसे ज्यादा चर्चित अपने टैरिफ वॉर के कारण रहे हैं, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था हिली हुई मालूम पड़ रही है। उसका खराब असर अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। मगर ट्रंप इन सबसे बेपरवाह हैं।
उनका भरोसा कायम है कि ये सारी पीड़ाएं क्षणिक हैं, जिन्हें अमेरिका को फिर से महान बनाने के महति प्रयोजन को पूरा करने के लिए झेलना पड़ेगा। मगर बाकी दुनिया इसके लिए तैयार नहीं दिखती। वह अमेरिकी युग के बाद की जिंदगी की तैयारी कर रही है।
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