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बचाव की मुद्रा में?

मोदी ने राय जताई कि कूटनीतिक संबंधों से जुड़ी कुछ घटनाओं से भारत-अमेरिका संबंध प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘परिपक्व एवं स्थिर सहभागिता’ बनी है। अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियां भारत से संबंध को आज समान महत्त्व दे रही हैं।

खालिस्तानी उग्रवादियों गुरपतवंत सिंह पन्नूं और हरदीप सिंह निज्जर के मामलों में क्या भारत सरकार बचाव की मुद्रा में है? इस संदर्भ में दो नई खबरें अहम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को इंटरव्यू देकर पन्नूं मामले में अपनी सरकार का रुख साफ किया है। उधर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को कहा कि पन्नूं की हत्या की कथित साजिश के मामले में अमेरिका में भारत सरकार के एक अधिकारी पर इल्जाम लगने के बाद से भारत का सुर बदल गया है। भारत यह “समझ गया है कि वह अपनी नहीं चला सकता।” बेशक अमेरिका ने उसकी जमीन पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की कथित कोशिश को बेहद गंभीरता से लिया है। इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, सीआईए और एफबीआई के प्रमुख आदि ने सीधे अपने समकक्ष भारतीय अधिकारियों से बात की है। उधर न्यूयॉर्क की एक अदालत में अभियोग भी दायर किया जा रहा है। इसको लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में पेच पड़ने की चर्चाएं तेज रही हैँ। इसी सिलसिले में नरेंद्र मोदी ने राय जताई कि कूटनीतिक संबंधों से जुड़ी कुछ घटनाओं से दोनों देशों के संबंध प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘परिपक्व एवं स्थिर सहभागिता’ बनी है। अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियां भारत से संबंध को समान महत्त्व दे रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘अगर हमारे किसी नागरिक ने कोई बुरा या अच्छा काम किया हो, तो हम उस पर गौर करने को तैयार हैं। हम कानून के राज के प्रति निष्ठावान हैं।’ भारत इस मामले में अमेरिका से मिली सूचनाओं के आधार पर जांच कराने का एलान कर चुका है। उधर अमेरिका ने कहा है कि उसकी नजर जांच के नतीजे पर है। किसी विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना सही रास्ता है। मगर यह सवाल उठेगा कि क्या निज्जर के मामले में कनाडा के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के बाद अब इन मामलों में सचमुच भारत का रुख नरम पड़ गया है? गौरतलब है कि अमेरिका ने पन्नूं और निज्जर के मामलों को एक दूसरे से जुड़ा हुआ माना है।

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