Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

टूटता हुआ एक नैरेटिव

नियंत्रण रेखा

ताजा घटनाएं बताती हैं कि आतंकवादियों का साया जम्मू में कितने बड़े दायरे में फैल गया है। जाहिर है कि जम्मू अब आतंकवाद के नए केंद्र के रूप में उभरा है। अनुमान है कि आतंकवादी सीमापार से घुसपैठ कर वहां पहुंच रहे हैं।

जम्मू इलाके में ताजा आतंकवादी हमलों ने केंद्र सरकार के इस दावे पर गंभीर प्रश्न उठा दिया है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को परास्त कर दिया गया है। हालांकि कुछ-कुछ अंतराल पर कश्मीर घाटी में भी हमले होते रहे हैं, लेकिन जिस तरह जम्मू क्षेत्र में लगातार ऐसी घटनाएं हुईं, उनसे देश में सरकारी दावे से पैदा हुआ भरोसा हिल गया है। ठोस संकेत हैं कि ये हमले नियोजित ढंग से किए गए। रविवार को जिस समय नई दिल्ली में तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था, उसी समय रियासी इलाके के तेरयथ गांव में आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों से भरी एक बस को निशाना बनाया। इसमें नौ जानें गईं।

सोमवार को कठुआ के सैदानगर गांव में हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान मारा गया। मंगलवार को डोडा जिले में मुठभेड़ में पांच सुरक्षाकर्मी और एक एसपीओ घायल हो गए। बुधवार को इसी जिले के गंडोह में हुई मुठभेड़ में एक पुलिस अधिकारी जख्मी हुआ। ये घटनाएं बताती हैं कि आतंकवादियों का साया कितने बड़े दायरे में फैल गया है। इससे यह भी जाहिर होता है कि जम्मू अब आतंकवाद के नए केंद्र के रूप में उभरा है। अनुमान है कि आतंकवादी सीमापार से घुसपैठ कर वहां पहुंच रहे हैं। यह अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद को परास्त करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।

सुरक्षा बल प्रधानमंत्री की इस समझ के अनुरूप कार्यरत रहे हैं कि आज के दौर में खतरा स्पष्ट, लेकिन दुश्मन अदृश्य है। मोदी यह भी कह चुके हैं कि यह युद्ध का दौर नहीं है। इन दोनों बातों का निष्कर्ष है कि सुरक्षा बलों को अपनी ताकत अदृश्य दुश्मन- यानी आतंकवाद को परास्त करने में झोंकनी चाहिए। इसी रणनीति के तहत सीधे युद्ध की चेतावनी देने से बचते हुए पाकिस्तान पर अन्य कई तरह के दबाव बनाने की कोशिश हुई है। बहरहाल, इस नजरिए पर अमल के बावजूद अब आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में इस तरह सिर उठा रहा है, तो यह अवश्य पूछा जाएगा कि देश को सुरक्षित बनाने की यह रणनीति कितनी कारगर हुई है?

Exit mobile version