‘विकसित भारत’ का कथानक अगले चुनाव में भाजपा के प्रचार का थीम बनेगा। ये कहानी चंद्रयान, गगनयान, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, दुनिया में भारत की बढ़ी धाक और राम मंदिर निर्माण जैसी कुछ वास्तविक और कुछ काल्पनिक उपलब्धियों के सहारे बुनी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत’ को 2024 के आम चुनाव के लिए अपना मुख्य कथानक बना लिया है। इसकी झलक हाल के उनके भाषणों में मिली है। यही पहलू दशहरा के मौके पर दिए गए उनके भाषण में भी झलका। कुछ समय पहले खबर आई थी कि नीति आयोग भारत को विकसित देश बनाने का रोडमैप तैयार कर रह है। वही दस्तावेज अगले आम चुनाव में भाजपा के प्रचार का थीम बनेगा। विकसित भारत की कहानी चंद्रयान, गगनयान, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, दुनिया में भारत की बढ़ती धाक और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण जैसी कुछ वास्तविक और कुछ काल्पनिक उपलब्धियों के सहारे बुनी जाएगी। चूंकि इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद भारत में गरीबी एक हकीकत है, तो अब प्रधानमंत्री ने हर सक्षम परिवार का आह्वान किया है कि वह एक गरीब परिवार को गरीबी से बाहर निकालने की जिम्मेदारी ले ले। इसी नैरेटिव के पेश और प्रचारित करने की योजना के तौर पर सरकार ने सरकारी अधिकारियों को विकसित भारत रथ का प्रभारी बनाने की योजना बनाई है।
आने वाले महीनों में इस प्रचार में इतनी ताकत और संसाधन झोंके जाएंगे कि उनसे ‘अच्छे दिन’ के वादे जैसा प्रभाव पैदा किया जाएगा। कहा जा सकता है कि इस रूप में ‘विकिसित भारत’ ‘अच्छे दिन’ का ही अगला संस्करण है। इस कहानी को समावेशी बताने के लिए भाजपा की तरफ से क्षेत्रवाद और जातिवाद के विरोध भी इसमें शामिल किया जाएगा। यहां जातिवाद और क्षेत्रवाद का मतलब इन आधारों पर अपनी पहचान जताने वाली ताकतों से होगा। इन ताकतों को भारत के ‘विकिसित’ होने की राह में रुकावट और यहां तक कि इस बड़ी परियोजना के शत्रु के रूप में भी पेश किया जाएगा। जाहिर है, इसके जरिए पूरे विपक्ष को घेरने की कोशिश होगी। अभी तक इस बात के संकेत नहीं हैं कि विपक्ष को इस बन रहे नैरेटिव का अंदाजा भी है। हकीकत यह है कि उनके इंडिया गठबंधन के अंतर्विरोध खुल कर सामने आने लगे हैं, जबकि विभिन्न पार्टियों के अंदर खासकर बड़े उद्योगपतियों पर निशाना साधने के एजेंडे को लेकर फूट पड़ती दिख रही है।