उत्तर-पूर्व अनेक आदिवासी समुदायों का घर है, जिनमें अपनी अलग पहचान को जताने की प्रवृत्ति बढ़ती चली गई है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि मणिपुर में सत्ताधारी पार्टी खुद इस होड़ में शामिल हो गई दिख रही है। जबकि मणिपुर में लगी आग की लपटें दूसरे राज्यों में भी पहुंचने लगी हैँ।
मणिपुर में हालात अभी भी उबाल पर हैं, जबकि अब इसकी लपटें मिजोरम को भी झुलसाने लगी हैं। मणिपुर में हिंसा जारी रहने के कारण वहां से मैतेई समुदाय के कई लोगों ने मिजोरम जाकर पनाह ली थी। मिजोरम सरकार ने उनके वहां रहने की व्यवस्था की थी। लेकिन इसी बीच चार मई का वह भयानक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें दो कुकी महिलाओं को नग्नावस्था में परेड कराते दिखाया गया। इसके बाद से उत्तर-पूर्व के कई आदिवासी समुदायों में गुस्से की खबर मिल रही है। पहले यह खबर आई की नगा समुदाय खफा है। उसकी तरफ से आशंका जताई गई है कि जो कुकी महिलाओं के साथ हुआ, वह उनके समुदाय की महिलाओं के साथ भी हो सकता है। इसी बीच मिजोरम के आदिवासी समुदाय उस वीडियो को देख कर इतना भड़के कि उन्होंने मैतेई समुदाय के लोगों के लिए चेतावनी जारी कर दी कि वे उनके राज्य से चले जाएं। इसका तुरंत असर हुआ। खबर है कि बड़ी संख्या में मैतेई समुदाय के लोग विमान, बस या टैक्सी से मणिपुर की तरफ रवाना हो चुके हैँ।
मुद्दा यह है कि जिन हालात के कारण ये लोग अपना घर-बार छोड़ कर गए थे, उनमें मणिपुर में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस बीच विवाद दूसरे इलाकों और समुदायों तक फैलने लगा है। उत्तर-पूर्व अनेक आदिवासी समुदायों का घर है, जिनमें अपनी अलग पहचान को जताने की प्रवृत्ति बढ़ती चली गई है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जब निहित स्वार्थी तत्व इन प्रवृत्तियों को बढ़ावा दे रहे थे, तब उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की गई। इस बीच ऐसा लगता है कि मणिपुर में सत्ताधारी पार्टी खुद इस होड़ में शामिल हो गई है। कुकी समुदाय से आने वाले खुद इसी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री पर एक समुदाय विशेष की तरफ से काम करने और फैसले लेने का आरोप लगाया है। इससे शिकायतें इतनी गहरा गई हैं कि मसले का हल निकालना और कठिन होता जा रहा है। दूसरी तरफ केंद्रीय नेतृत्व है, जो मणिपुर की घटनाओं की तुलना दूसरे राज्यों की घटनाओं से करने की सियासत में शामिल हो गया है।