राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

जागो देश जागो

उस इको-सिस्टम को मणिपुर में किसने चलते रहने की इजाजत किसने दी है, जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं हुई हैं और उन पर अपेक्षित प्रशासनिक प्रतिक्रिया नजर नहीं आई है? अब हकीकत यह है कि पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है।

वायरल हुए मणिपुर के वीडियो से यह सवाल उठा है कि क्या इस देश के कर्ता-धर्ताओं और नागरिक समाज में रत्ती भर भी शर्म बची है! दो महिलाओं को नंगा घुमाया गया, संभवतः उनसे सामूहिक बलात्कार किया गया, पुलिस ने इसकी शिकायत दर्ज की, इसके बावजूद ढाई महीने तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, तो क्या यह सिर्फ संयोग है? या मणिपुर की सरकार और वहां कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों का इतना सांप्रदायीकरण हो गया है कि वे ऐसे भयानक- बर्बर कृत्य को भी सांप्रदायिक नजरिए से ही देखते हैं? मणिपुर में ढाई महीने से हिंसा जारी है और इस दौरान महिलाओं के साथ यौन हिंसा भी हुई है, ऐसी खबरें मीडिया में आती रही हैं। यह सोच कर विवेक भोथरा हो जाता है कि ऐसी खबरों के बावजूद देश के प्रधानमंत्री ने इस पर आज तक मणिपुर की स्थिति पर अपनी जुबान नहीं खोली है। ताजा वीडियो के बाद सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का बयान जरूर आया है। लेकिन उससे भी इस बात का जवाब नहीं मिलता कि ऐसी घटनाओं के लिए जवाबदेह कौन है?

उस इको-सिस्टम को वहां चलते रहने की इजाजत किसने दी है, जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं हुई हैं और उन पर अपेक्षित प्रशासनिक प्रतिक्रिया नजर नहीं आई है? मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वीडियो में दर्ज घटना फेक न्यूज का नतीजा था। एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिसमें एक महिला लाश बोरे में बंद थी। उसे मैतेई महिला बताया गया, जबकि बाद में स्पष्ट हुआ कि वह दिल्ली में हुई एक हत्या की शिकार हुई महिला की तस्वीर थी। लेकिन तब तब फेक न्यूज अपना काम कर चुका था। मैतेई समुदाय का एक समूह कूकी महिलाओं से बदला लेने के लिए सामूहिक बर्बरता पर उतर आया था। तो यह सवाल भी प्रासंगिक है कि फेक न्यूज के कल्चर को किसने संरक्षण दिया है? बहरहाल, बात यह है कि पानी अब सिर के ऊपर से गुजर रहा है। अगर इसके खतरों को अब भी नहीं समझा गया और देश की शर्म नहीं जागी, तो सामूहिक रूप से डूबने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

Tags :

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *