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मलेशिया का मकसद

भारत यात्रा पर आए अनवर इब्राहिम की प्राथमिकताओं में मलेशिया को ब्रिक्स में शामिल करना शामिल है। मलेशिया चाहता है उसे इस समूह की सदस्यता मिल जाए।

अगस्त 2019 में मलेशिया से भारत के संबंध बेहद बिगड़ गए, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया। लेकिन अब मलेशिया के प्रधानमंत्री दातुक सेरी अनवर इब्राहिम ने भारत आकर संबंधों को सामान्य बनाने की पहल की है। नई दिल्ली में उनसे द्विपक्षीय वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलान किया कि दोनों देशों ने अपने संबंध का दर्जा बढ़ाने का फैसला किया है। भारत और मलेशिया ने अब अपने संबंध को व्यापक रणनीतिक सहयोग का दर्जा दिया है। बेशक, रिश्तों में इस मोड़ का एक पक्ष व्यापारिक है। गुजरे पांच वर्षों में भी दोनों देशों के कारोबारी रिश्ते बढ़े हैँ। वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 20.01 अरब डॉलर का रहा। भारत में मलेशिया का निवेश लगभग 3.3 अरब डॉलर है। अप्रैल 2023 से दोनों देशों के बीच आपसी मुद्रा में व्यापार भुगतान का समझौता लागू हो चुका है। भारत यात्रा में इब्राहिम का एक मकसद इस प्रणाली को और सहज बनाना भी रहा।

यह उनकी सरकार की विदेश नीति संबंध नई प्राथमिकताओं का हिस्सा है। उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में मलेशिया को ब्रिक्स में शामिल करना भी शामिल है। मलेशिया चाहता है कि अक्टूबर में रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान उसे इस समूह की सदस्यता मिल जाए। संकेत हैं कि इस बारे में रूस और चीन की सहमति उसे मिल चुकी है। ब्रिक्स में फैसले आम सहमति से होते हैं। इसलिए मलेशिया के सदस्यता प्रस्ताव पर भारत एतराज ना जताए, इसे सुनिश्चित करने की जरूरत इब्राहिम ने महसूस की होगी। इस बात की आधिकारिक जानकारी दी गई है कि नई दिल्ली में मोदी के साथ उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत की। खबरों के मुताबिक अगले शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स आपसी मुद्राओं के जरिए भुगतान के लिए स्विफ्ट जैसा सिस्टम लॉन्च करेगा। यह कदम डॉलर के जरिए भुगतान के अब तक जारी चलन से पीछा छुड़ाने की ब्रिक्स की बड़ी योजना का हिस्सा है। भारत इस योजना में शामिल है और अब मलेशिया भी इससे जुड़ना चाहता है। अनवर इब्राहिम की नई दिल्ली यात्रा का बड़ा संदर्भ यही रहा है।

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