कोविड-19 के दौरान जैसी अफरातफरी से इस देश को गुजरना पड़ा था, उसके बाद किसी भी ऐसे खतरे को हलके से नहीं लिया जा सकता। इसलिए निपाह संक्रमण से निपटने की तैयारी की समीक्षा के लिए केंद्र को तुरंत पहल करनी चाहिए।
निपाह वायरस का संक्रमण हालांकि अभी महामारी नहीं बना है, लेकिन जिस तरह संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की खबर आ रही है, उसे देखते हुए उचित यही होगा कि सारे देश में सतर्कता बरती जाए। अभी खबर सिर्फ केरल के कोझिकोड जिले से आई है। मगर डॉक्टरों ने ध्यान दिलाया है कि जिन फलाहारी चमगादड़ों (फ्रूट बैट) के जरिए यह वायरस फैलता है, वे ना सिर्फ केरल, बल्कि अन्य कई राज्यों में भी पाए जाते हैँ। कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि निपाह से संक्रमित मरीज कुछ अन्य राज्यों में भी हो सकते हैं, जहां संभव है कि अभी उनकी पहचान ना हुई हो। केरल में सबसे पहले 2018 में निपाह वायरस का प्रकोप देखने को मिला था। उसके बाद यह चौथा मौका है, जब ऐसा हुआ है। इस बीच संभव है कि देश के दूसरे राज्यों तक भी संक्रमण पहुंचा हो। केरल की अपेक्षाकृत बेहतर चिकित्सा व्यवस्था ऐसे संक्रमणों की आरंभिक स्तर पर ही पहचान करने में अधिक सक्षम मानी जाती है।
निपाह के बारे में यह जानकारी चिंतित करने वाली है कि इससे संक्रमित होने के बाद मृत्यु दर 40 से 70 प्रतिशत तक रहती है। गौरतलब है कि कोविड-19 वायरस से संक्रमित मरीजों में यह दर पांच प्रतिशत से भी कम थी। इस संक्रमण के लक्षण भी बेहद गंभीर किस्म के हैं। मस्तिष्क ज्वर से लेकर खून की उल्टियां और दस्त जैसी समस्याएं भी इसमें उभर सकती हैं। अभी तक आई खबरों के मुताबिक इस बार केरल में जो लक्षण दिखे हैं, वे अपेक्षाकृत कम गंभीर किस्म के हैं। इसके बावजूद इस पर जोर डालने की जरूरत है कि सारे देश को इस खतरे के लिए अभी से सतर्क हो जान चाहिए। चूंकि इसके इलाज की प्रभावी व्यवस्था भी अपने देश में मौजूद नहीं है, इसलिए ऐहतियाती कदमों की जरूरत और भी ज्यादा है। कोविड-19 के दौरान जैसी अफरातफरी से इस देश को गुजरना पड़ा था, उसके बाद किसी भी ऐसे खतरे को हलके से नहीं लिया जा सकता। इसलिए देश भर के हालात की समीक्षा के लिए केंद्र को तुरंत पहल करनी चाहिए।