यह भारतीय समाज के लिए आत्म-मंथन का विषय है कि आखिर आज ऐसा माहौल कैसे बन गया है, जिसमें प्रभुत्वशाली लोग इतना बेखौफ हो गए हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार की मनमानी करने में कोई हिचक नहीं होती?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बात का श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना पर दलगत भावना से ऊपर उठ कर तुरंत ‘कठोरतम’ कार्रवाई का आदेश दिया। नतीजतन मंगलवार रात असभ्यता और क्रूरता की मिसाल बने उस भाजपा नेता को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसने सरेआम एक आदिवासी नौजवान पर पेशाब किया था। उस पर कानूनी सख्त धाराएं लगाई गई हैं, इसलिए यह उम्मीद रखनी चाहिए कि यह सिर्फ फौरी और दिखावटी कार्रवाई नहीं है। बहरहाल, यह वर्तमान भारतीय समाज- और खासकर सत्ताधारी दल और उसके सहमना संगठनों के लिए आत्म-मंथन का विषय है कि आखिर आज समाज में ऐसा माहौल कैसे बन गया है, जिसमें प्रभुत्वशाली लोग इतना बेखौफ हो गए हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार की मनमानी करने में कोई हिचक नहीं होती? तमाम पुरातन समाजों की तरह भारतीय पारंपरिक समाज में भी वर्चस्व और मजबूत लोगों के लिए निर्भय होकर किसी प्रकार का व्यवहार करने का सिस्टम रहा है।
सभ्यता के विकास के साथ इस तरह के बर्बर व्यवहारों पर लगाम लगाने के प्रयास किए गए। कानून का राज करने और संविधान को सर्वोपरि बनाने की कोशिशें इसी मकसद का हिस्सा रही हैं। लेकिन गुजरे कुछ वर्षों में खुद सत्ता में बैठे लोगों ने कानून के राज का अनादर करने जैसी नीतियां अपना रखी हैं। इससे यह संदेश गया है कि अगर आप सत्ता पक्ष के साथ हैं और आपका संबंध प्रभुत्वशाली वर्ग से है, तो आप निर्भय होकर कोई भी व्यवहार कर सकते हैँ। ताजा घटना के सिलसिले में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अपराधी का कोई धर्म, जाति या पार्टी नहीं होती। उनसे अपेक्षित है कि यही बात वे किसी मुस्लिम अपराधी के संदर्भ में भी कहें। किसी एक व्यक्ति के अपराध के पूरे समुदाय को लांछित करने की चल रही प्रवृत्ति का विरोध उनके जैसे ऊंचे पदों पर बैठे लोग हर स्थिति में करें, तो भारतीय समाज में आ रही वैसी गिरावटों पर रोक लग सकती है, जिसकी एक मिसाल फिलहाल मध्य प्रदेश में देखने को मिली है। वरना, सभ्यता से बर्बरता की तरफ हो रही यात्रा को रोकना कठिन बना रहेगा।