trump tariff: बजट में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाया गया है। वित्त सचिव ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि ये सोच-विचार कर उठाया गया कदम है, ताकि दुनिया को सही पैगाम भेजा जा सके। क्या यहां दुनिया से मतलब ट्रंप प्रशासन है?
आम बजट में वित्त मंत्री ने 1600 सीसी क्षमता इंजन वाली मोटर साइकिलों पर आयात शुल्क घटाने की घोषणा की, तो सहज ही ध्यान हर्ले- डेविडसन बाइक्स की तरफ गया।
ये कंपनी कुछ वर्ष पहले भारत में कारोबार समेट कर वापस चली गई थी। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस प्रकरण का खास जिक्र किया था।
इसे उन्होंने भारत में ऊंचे शुल्क और अमेरिकी कंपनियों के लिए कारोबार में आने वाली मुश्किलों का उदाहरण बताया था।(trump tariff)
अब ट्रंप अपना ‘टैरिफ वॉर’ छेड़ चुके हैं। इस सिलसिले में वे कई बार भारत का उल्लेख कर चुके हैं। भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी है।
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हालांकि भारत डॉलर का वर्चस्व खत्म करने की परियोजना से खुद को अलग दिखाता रहा है, मगर अनेक देशों के साथ उसने द्विपक्षीय कारोबार का भुगतान अपनी- अपनी मुद्राओं में करने के करार किए हैं। ट्रंप ने ऐसे देशों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने की धमकी दी है।(trump tariff)
ट्रंप के तेवर से भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान में एक तरह की बेचैनी देखी गई है। नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह की व्यग्रता ट्रंप प्रशासन से संपर्क बनाने और उसे ‘सही संकेत’ भेजने की दिखाई है, वह इस समय अजूबा ही है।
अब उसी क्रम में बजट में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाया गया है। वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि ये सोच-विचार कर उठाया गया कदम है, ताकि दुनिया को सही पैगाम भेजा जा सके।
यूरोपियन यूनियन को चेतावनी दी(trump tariff)
दुनिया यह संदेश ग्रहण कर सके कि भारत का ध्यान अपने शुल्क ढांचे को तर्कसंगत और सरल बनाने पर है। सहज ही यहां दुनिया का मतलब ट्रंप प्रशासन से लगाया जा सकता है।
मगर बड़ा सवाल है कि क्या ऐसे एहतियाती कदम कारगर होंगे? ट्रंप ने पहला निशाना अपने पड़ोसी एवं सहयोगी देशों- कनाडा और मेक्सिको पर साधा है।(trump tariff)
साथ ही यूरोपियन यूनियन को चेतावनी दी है। कनाडा और मेक्सिको जवाबी कदम उठा चुके हैं। ईयू इसके लिए खुद को तैयार कर रहा है। इसके विपरीत भारत की तैयारी ट्रंप के एजेंडे के अनुरूप ढलने की लगती है। क्या इससे भारत ट्रंप के टैरिफ टाल पाएगा?