कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में प्रधानमंत्री से लेकर भारत सरकार के अधिकारी रोज इस बात का ढोल पीट रहे हैं कि भारत ने दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत अच्छा काम किया है। कहा जा रहा है कि समय रहते भारत ने लॉकडाउन घोषित कर दिया, जिसकी वजह से लाखों लोग संक्रमित होने से बच गए और हजारों लोगों की जान बचा ली गई। पर सवाल है कि आगे क्या होगा? क्या प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के अधिकारी इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि आगे भी लोगों की जान बची रहेगी? इसका प्रोजेक्शन कोई नहीं कर रहा है। यह नहीं बताया जा रहा है कि भले मामले 13 दिन में दोगुने हो रहे हैं पर यह कब तक चलता रहेगा? कब तक मामले दोगुने होते रहेंगे? क्या यह प्रक्रिया अनंतकाल तक चलती रहेगी? अगर वैक्सीन आने तक यानी कम से कम अगले आठ से दस महीने तक इसी तरह मामले बढ़ते रहे तो भारत में दस फीसदी से ज्यादा आबादी संक्रमित हो सकती है। और तब आंकड़े बदल जाएंगे। तब यह नहीं कहा जा सकेगा कि भारत में संक्रमित होने की दर अमुक-अमुक देश से कम है और मृत्यु दर तो सबसे कम है।
बहरहाल, वह नौबत तो जब आएगी, तब आएगी लेकिन अब भी कोरोना वायरस का संक्रमण बताने वाले वर्ल्डमीटर को जरा बारीकी से पढ़ने की जरूरत है। इसे बारीकी से पढ़ा जाएगा तो एक अलग ही तस्वीर सामने आएगी। अभी तो वर्ल्डमीटर के आधार पर यह कह दिया जा रहा है कि भारत 11वें नंबर है। लेकिन यह स्थिति रविवार की सुबह तक थी। रविवार देर रात तक का आंकड़ा आया तो भारत ईरान को पीछे छोड़ कर दसवें स्थान पर पहुंच सकता है। जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं और भारत से ऊपर वाले ज्यादातर देशों में जिस तेजी से मामले घट रहे हैं उसमें हैरानी नहीं होगी अगर अगले महीने तर भारत शीर्ष तीन-चार देशों में पहुंच जाए और उसके बाद नंबर एक देश बनना महज वक्त की बात होगी।
भारत इस समय कोरोना संक्रमितों की संख्या के लिहाज से दुनिया में 11वें नंबर पर है। इससे ऊपर जो देश हैं उनमें से ज्यादातर देशों में संक्रमण की दर घट रही है। स्पेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस और यहां तक कि अमेरिका में भी संक्रमण पीक पर पहुंचने के बाद नीचे आ रहा है। उन देशों में नए मामले आने की संख्या हर दिन कम होती जा रही है। जिन देशों में नए संक्रमण तेजी से बढ़ रहे हैं उनमें अभी सिर्फ चार देशों का नाम मुख्य रूप से लिया जा सकता है। सबसे ऊपर ब्राजील है, जहां हर दिन 20 हजार के करीब मामले आ रहे हैं। उसके बाद रूस है, जहां रोजाना दस हजार के औसत से मामले आ रहे हैं। इसके बाद भारत और ब्रिटेन हैं।
अगर भारत में छह से साढ़े छह हजार नए मामले आने का औसत चलता रहा तो इसी हफ्ते में भारत ईरान, तुर्की, जर्मनी और फ्रांस को पीछे छोड़ कर सातवें नंबर पर पहुंच जाएगा। गौरतलब है कि इन तीनों देशों के आंकड़े दो लाख से नीचे के हैं और रोजाना नए मामले आने का औसत बहुत कम है। सो, भारत हो सकता है कि इनसे पहले दो लाख की संख्या पार करे। उसके बाद एक हफ्ते में भारत ब्रिटेन, स्पेन और इटली को पीछे छोड़ सकता है। ध्यान रहे स्पेन और इटली ये दो यूरोपीय देश सबसे ज्यादा संक्रमित रहे हैं और अब इनके यहां मामले तेजी से घट रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन में छूट देने से इन देशों में भी संक्रमण थोड़ा बढ़ सकता है फिर भी उसका औसत भारत से कम रहना है।सो, कुल दो हफ्ते में भारत संक्रमण वाले शीर्ष चार देशों में पहुंच सकता है। अमेरिका लंबे समय तक नंबर एक रहना है क्योंकि उसके यहां संक्रमितों की संख्या 16 लाख से ज्यादा है। लेकिन ब्राजील, रूस और भारत का मामला बराबरी का हो जाएगा। आबादी के लिहाज से भारत इन ब्राजील और रूस से कई गुना बड़ा है। सो, अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब संक्रमण तेजी से फैलेगा तो भारत की क्या स्थिति होगी।
अगर मौजूदा वर्ल्डमीटर को भी बारीकी से देखें तो एक अलग तस्वीर दिखाई देती है। जैसे संक्रमितों की संख्या के लिहाज से भारत दसवें स्थान पर है पर एक्टिव केसेज यानी अस्पताल में भरती मरीजों की संख्या के लिहाज से भारत छठे स्थान पर है। भारत में रविवार की सुबह तक 73,610 एक्टिव मामले थे। संक्रमितों की संख्या के लिहाज से भारत से ऊपर के जो देश हैं उनमें ईरान, तुर्की, इटली, जर्मनी और स्पेन में एक्टिव मामलों की संख्या भारत से कम है। जर्मनी में तो एक लाख 80 हजार संक्रमित होने के बावजूद एक्टिव केस सिर्फ 12 हजार हैं। यानी 12 हजार आदमी ही अस्पताल में भरती है। इसी तरह सबसे ज्यादा प्रभावित इटली और स्पेन में अभी 57-57 हजार आदमी अस्पताल में भरती है। यानी एक्टिव मामलों की संख्या के लिहाज से भारत अभी ही वर्ल्डमीटर में छठे स्थान पर है लेकिन ठीक होने वाले मरीजों की संख्या के लिहाज से भारत 11वें स्थान पर ही है।
इसी तरह संक्रमण के गंभीर मरीजों यानी आईसीयू या वेंटिलेटर पर डाले गए मरीजों की संख्या के लिहाज से तो भारत दूसरे स्थान पर पहुंचा हुआ है। गंभीर मरीजों की संख्या के लिहाज से भारत से ऊपर सिर्फ अमेरिका है, जहां 16 लाख 80 हजार मामले हैं। भारत में गंभीर मरीजों की संख्या 8,944 है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 17 हजार है यानी दोगुने से थोड़ा कम, जबकि अमेरिका में भारत के मुकाबले आठ गुने से ज्यादा संक्रमित हैं। भारत के बाद तीसरे स्थान पर ब्राजील है, जहां 83 सौ गंभीर मरीज हैं। इसकी वजह से मरने वालों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सो, अभी के आंकड़ों को आधार बना कर बहुत खुश होने की स्थिति नहीं है, बल्कि आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं।
वर्ल्डमीटर में भारत की हकीकत गंभीर
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