बेबाक विचार

बाढ़ से व्यापक तबाही

ByNI Editorial,
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बाढ़ से व्यापक तबाही
बाढ़ के कारण भारत के अलावा पड़ोसी मुल्क नेपाल में भी तबाही का आलम है। वहां करीब 40 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बाढ़ के कारण अब तक करीब 200 लोगों की मौत हो गई है और कई लापता हैं। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के बीच बाढ़ ने भारत और नेपाल में स्वास्थ्य व्यवस्था पर अत्यधिक भार डाल दिया है। गौरतलब है कि भारत की बाढ़ का संबंध नेपाल से भी है। बिहार में नदियां अक्सर नेपाल से आती हैं। नेपाल में ज्यादा पानी नदियों में आता है, तो उसकी कीमत बिहार के लोगों को भी चुकानी पड़ती है। असम में भी बाढ़ की तस्वीर भयावह है। राज्य के 33 में से 25 जिले बाढ़ प्रभावित हो चुके हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने से फसल बर्बाद हो चुकी है। भूस्खलन से विस्थापन हुआ है। देश में ड्रेनेज सिस्टम और जल प्रबंधन का इंतजाम कितना कमजोर है, यह दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में भी जाहिर हुआ है। राजधानी दिल्ली में एक दिन की भारी बारिश की वजह से कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है। 19 जुलाई को राजधानी दिल्ली में मूसलाधार बारिश से कई इलाकों में जलभराव हो गया और कमर से अधिक पानी भर गया। कुछ ही घंटों की बारिश के कारण कई इलाकों में जल जमाव, तो कहीं नालों में भारी उफान के बाद तीन मकान ढह गए। कनॉट प्लेस जैसे वीआईपी इलाके में भी पानी घुटनों तक भर गया। मुंबई में ऐसा होने की खबरें भी मीडिया में छायी रही हैं। मगर सबसे ज्यादा परेशानी असम और बिहार में ही है। मई के आखिर से अब तक असम में बाढ़ से 79 लोगों की मौत हो चुकी है। 27 लाख से अधिक लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बिहार और असम दोनों इस साल दो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। बाढ़ के साथ-साथ कोरोना वायरस से भी इन राज्यों को जूझना पड़ रहा है। भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते हुए 12 लाख से अधिक हो चुके हैं। इस महामारी के चलते 26,816 लोगों की मौत देशभर में हो चुकी है। अब असम और बिहार में सवाल यह है कि सरकारें बाढ़ राहत को तरजीह दें या कोरोना वायरस के पीड़ितों के इलाज और लोगों को इस संक्रमण से बचाने को?
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