बेबाक विचार

ये कहां आ गए हम!

ByNI Editorial,
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ये कहां आ गए हम!
एक खबर के मुताबिक राजस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शनिवार को जगह-जगह हनुमान चालीसा का पाठ कराया, ताकि कोरोना महामारी का मुकाबला किया जा सके। एक दूसरी खबर के मुताबिक हैदराबाद के एक ज्योतिषी ने कहा है कि कोरोना के अंग्रेजी हिज्जे में अगर एक के बजाय दो ‘एन’ लिखा जाने लगे, तो न्यूमरोलॉजी के मुताबिक कोरोना वायरस अपनी संक्रामक क्षमता खो देगा। एक तीसरी खबर के मुताबिक कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए लागू पाबंदियों का उल्लंघन करते हुए गुजरात के गांधीनगर जिले के एक गांव में एक धार्मिक जुलूस निकाला गया, जिस संबंध में पुलिस ने 46 लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अन्य खबर के अनुसार पिछले कुछ दिनों में गुजरात में इस तरह की यह दूसरी घटना है। जिले पुलिस उपाधीक्षक ने कहा- यानी ये जानकारी आधिकारिक तौर पर दी गई है कि गांधीनगर के रायपुर गांव में निकाले गए जुलूस के दौरान सभी कोविड-19 रोकथाम मानकों का कथित रूप से उल्लंघन किया गया। इसमें शामिल पुरुष और महिलाओं में से कई बिना मास्क के थे। इस आयोजन के दौरान महिलाएं अपने सिर पर पानी के बर्तन ले जा रही थीं, तो वहीं कई पुरुष ढोल पीटते हुए जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ‘गांव के लोगों के एक वर्ग का मानना था कि उनके देवता के स्थानीय मंदिर पर पानी डालने से कोविड-19 का खात्मा हो सकता है।’ इससे पहले तीन मई को अहमदाबाद के नवापुरा गांव में एक ऐसी ही घटना घटी, जहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपने सिर पर पानी के बर्तन लिए हुए एक स्थानीय मंदिर में तक जुलूस निकाला। उनका भी विश्वास था कि मंदिर पर पानी डालने से कोविड-19 का खात्मा हो जाएगा। उस कार्यक्रम के आयोजन करने के लिए पुलिस ने गांव के सरपंच सहित 23 लोगों को गिरफ्तार किया था। क्या इन खबरों को पढ़ते हुए किसी विवेकशील व्यक्ति के मन में ये सवाल नहीं उठेगा कि आखिर हम कहां पहुंच गए हैँ? लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं का पालन करें, यह उनका अधिकार है। लेकिन वे ये अंधविश्वास रखें कि उससे कोरोना जैसी महामारी नियंत्रित हो जाएगी, तो उसे समाज के सामूहिक पतन के रास्ते पर आगे बढ़ना ही माना जाएगा। लेकिन जब सत्ता के ऊंचे हलकों से अवैज्ञानिकों बातों को प्रचारित किया जाता हो, तो आखिर आम लोगों को भी क्या दोष दिया जाए!
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