बेबाक विचार

कहां हैं ग्रीन शूट्स?

ByNI Editorial,
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कहां हैं ग्रीन शूट्स?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अर्थव्यवस्था में जो ग्रीन शूट्स दिख रहे हैं, वो किसी और को नजर नहीं आ रहा। एक के बाद एक विशेषज्ञ एजेंसियां ये कहती जा रही हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। इसमें सबसे ताजा नाम मूडीज का जुड़ा है। मूडीज ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में पिछले दो साल में सुस्ती आई है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने 2020 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले उसने इसके 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि वृद्धि दर सुधरने की गति पहले के अनुमान से धीमी होगी। इसीलिए हमने 2020 की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.4 प्रतिशत और 2021 का 5.8 प्रतिशत कर दिया है। यह मूडीज के पहले जताए गए अनुमान 2020 और 2021 क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत के अनुमान से कम है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 5 प्रतिशत रही है। जानकारों का कहना है कि कमजोर अर्थव्यवस्था और कर्ज वृद्धि में नरमी का एक-दूसरे पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऐसे में आर्थित गति तेजी से सुधरने का अनुमान लगाना कठिन है। राजकोषीय मोर्चे पर उठाए गए कदम के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि मांग में नरमी से निपटने के लिए केंद्रीय बजट में ठोस प्रोत्साहन उपाए नहीं किए गए हैं। अन्य देशों के समान प्रकार के नीतिगत उपायों के अनुभवों से यही पता लगा है कि जब लोग जोखिम से बचने के मूड में हो जाते हैं, तो करों में कटौती से उपभोग और निवेश व्यय में वृद्धि होने की संभावना कम ही रहती है। मूडीज ने कहा है कि उसे रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत दर में नरम रुख की उम्मीद है। हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगर ऊंची बनी रहती है, तो केंद्रीय बैंक के लिए नीतिगत दर में कटौती चुनौतीपूर्ण होगी। खुदरा मुद्रास्फीति में मौजूदा तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में उछाल है। साथ ही कोरोना विषाणु के फैलने से इस साल वैश्विक वृद्धि में स्थिरता आने की उम्मीद और धूमिल हुई है। कोरोना के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी घटा दिया गया है। ऐसे में भारत के लिए मुश्किलें बढ़ने का अंदेशा और गहरा गया है।
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