बेबाक विचार

अगर यही धर्म है, तो...

ByNI Editorial,
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अगर यही धर्म है, तो...
अगर अंदर झांका जाए, तो बात कुछ और नजर आएगी। कोई भी प्रशासन कामयाब नहीं हो सकता, अगर किसी उपाय को नाकाम करने की सुनियोजित मुहिम चलाई जा रही हो। इस बात के प्रमाण हैं कि सोशल मीडिया पर पटाखों पर प्रतिबंध को नाकाम करने का अभियान जोर-शोर से चलाया गया। Hindu deepawali Festivals Fireworks दिवाली के दिन से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आस-पास के इलाके के लोगों को "जहरीली" हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। ये स्थिति तब है, जब खुद सरकारी एजेंसियों का कहना है कि इस साल दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। जाहिर है, इस खतरनाक हालत के लिए जिम्मेदार दिवाली पर छोड़े गए पटाखे हैँ। दिल्ली-एनसीआर में पटाखे पर प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। इससे  दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक में पहुंच गया। हालत कितनी बिगड़ी, उसका अंदाजा इन आंकड़ोंसे लगता हैः शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक जो गुरुवार शाम 4 बजे 382 पर था, गुरुवार रात लगभग 8 बजे गंभीर स्तर पर पहुंच गया। तापमान में कमी और हवा की गति कम होने से प्रदूषण का स्तर बढ़ता गया। दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद (424), गाजियाबाद (442), गुड़गांव (423) और नोएडा (431) ने भी रात 9 बजे के बाद पटाखा फोड़ने के साथ हवा की गुणवत्ता "गंभीर" दर्ज की।

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शनिवार को भी इस हालत से ज्यादा राहत नहीं मिली। इसे देखते हुए डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि इस प्रदूषण से न सिर्फ इनकी वजह से होने वाली परेशानियां बढ़ सकती हैं, बल्कि कोविड-19 की स्थिति भी बदतर हो सकती है। दिल्ली में सुबह लोगों ने गले में खराश और आंखों में पानी आने की शिकायत की। अब गौर करने की बात यह ह कि जब दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू है, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी, तो फिर इतनी बड़ी संख्या में आखिर लोगों ने पटाखे कैसे फोड़? आखिर दिल्ली सरकार ने दिवाली पर पटाखों की बिक्री, भंडारण और उसे फोड़ने को लेकर जो चेतावनी जारी की थी, उसका क्या हुआ? जाहिरा तौर पर इसे प्रशासनिक नाकामी कहा जाएगा। लेकिन अगर अंदर झांका जाए, तो बात कुछ और नजर आएगी। कोई भी प्रशासन कामयाब नहीं हो सकता, अगर किसी जन कल्याण के उपाय को नाकाम करने की सुनियोजित मुहिम चलाई जा रही हो। इस बात के प्रमाण हैं कि सोशल मीडिया पर पटाखों पर प्रतिबंध को नाकाम करने का अभियान जोर-शोर से चलाया गया। इसमें सत्ताधारी पार्टी से जुड़े संगठन भी शामिल थे। पटाखों पर प्रतिबंध को हिंदू विरोधी कहा गया। तो इस समुदाय के लोगों ने दोगुना उत्साह के साथ प्रतिबंध को बेअसर कर दिया। अब उसका जो परिणाम है, सो है।
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