बेबाक विचार

सवाल करें या सम्मान?

ByNI Editorial,
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सवाल करें या सम्मान?
लोकतंत्र में जवाबदेही सत्ताधारी की होती है। उसकी जवाबदेही तय करने के लिए अवरोध और संतुलन की संवैधानिक व्यवस्थाएं की जाती हैँ। इसके तहत सरकार संसद, न्यायपालिका और स्वायत्त संस्थाओं के प्रति जवाबदेह होती है। वह मीडिया और सबसे ऊपर जनता के प्रति जवाबदेह होती है। modi photograph vaccination certificates केरल हाई कोर्ट की ये टिप्पणी लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं है कि देश के हर नागरिक का कर्त्तव्य प्रधानमंत्री का सम्मान करना है। असल लोकतांत्रिक भावना तो यह है कि हर नागरिक उससे सवाल करे, जिसे उसने अपने वोट से सत्ता सौंपी है। लोकतंत्र में जवाबदेही सत्ताधारी की होती है। उसकी जवाबदेही तय करने के लिए अवरोध और संतुलन की संवैधानिक व्यवस्थाएं की जाती हैँ। इसके तहत सरकार संसद, न्यायपालिका और स्वायत्त संस्थाओं के प्रति जवाबदेह होती है। वह मीडिया और सबसे ऊपर जनता के प्रति जवाबदेह होती है। इसलिए कोई नागरिक अगर किसी सरकारी काम पर सवाल उठाए, तो वह अपना कर्त्तव्य निभाता है। न्यायपालिका को इसमें उसका सहायक बनना चाहिए। लेकिन केरल हाई कोर्ट ने नागरिक को सशक्त बनाने के बजाय उसे दंडित किया। केरल निवासी पीटर मयालीपारामपिल को आपत्ति कोविड-19 वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर आपत्ति थी। पीटर ने इसके खिलाफ केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की। Read also गुरूग्रंथ साहब का सच याचिका में पीटर ने कहा कि उन्होंने अपनी वैक्सीन के लिए खुद पैसे खर्च किए हैं। ऐसे में वैक्सीन सर्टिफिकेट पर मोदी की तस्वीर की कोई उपयोगिता या प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को देश के कोविड टीकाकरण अभियान का चेहरा बनाकर अपना विज्ञापन कर रहे हैं। प्रश्न है कि क्या भारत में किसी नागरिक को ऐसी राय रखने का हक अब नहीं है? गौरतलब है कि हाई कोर्ट को पीटर के तर्क पसंद नहीं आए। उसने याचिका खारिज कर दी। लेकिन मामला यही खत्म नहीं हुआ। जज ने याचिका को समय की बर्बादी बताते हुए पीटर पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है। कोर्ट ने ये समस्याग्रस्त टिप्पणी की कि "अगर याचिकाकर्ता अपने प्रधानमंत्री की तस्वीर देखकर शर्मिंदा होता है तो वह वैक्सीन सर्टिफिकेट के निचले हिस्से से नजरें फेर सकता है।" इससे पहले विपक्षी दल भी मोदी की तस्वीर को वैक्सीन सर्टिफिकेट पर छापने के खिलाफ रोष जता चुके हैं। मगर सरकार का तर्क इस मामले में कुछ अलग है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सभा में कहा था कि मोदी की तस्वीर लगाने से जागरुकता बढ़ेगी। ये सवाल अहम है कि जागरूकता बढ़ेगी या मोदी के प्रति आभारी होने का भाव बढ़ेगा? आखिर लोकतंत्र में सत्ताधारी के प्रति आभारी होने का भाव किसी के मन में क्यों होना चाहिए?
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