nayaindia Oscar Award RRR The Elephant Whispers अब विश्व मंच पर
संपादकीय

अब विश्व मंच पर

ByNI Editorial,
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जिस चीज के लिए बॉलीवुड तरसता रहा है, वह विश्व मंच पर गुणवत्ता के लिहाज से सराहना और सम्मान है। संभवतः इनके लिए इसे अभी और इंतजार करना होगा। इस बीच दक्षिण में बन रही उच्च तकनीक कौशल की फिल्मों ने इस मोर्चे पर झंडा गाड़ना शुरू कर दिया है।

भारत का बॉलीवुड दशकों से दुनिया में मशहूर है। मनोरंजक फिल्में बनाने के साथ-साथ बड़ा कारोबार करने के लिए भी यहां की फिल्मों ने काफी पहले अपनी पहचान बना ली थी। पाकिस्तान- अफगानिस्तान से लेकर पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक में बॉलीवुड की फिल्मों का बड़ा बाजार रहा है। लेकिन जिस एक चीज के लिए बॉलीवुड तरसता रहा है, वह विश्व मंच पर गुणवत्ता के लिहाज से सराहना और सम्मान है। संभवतः इनके लिए इसे अभी और इंतजार करना होगा। इस बीच दक्षिण में बन रही उच्च तकनीक कौशल की फिल्मों ने इस मोर्चे पर झंडा गाड़ना शुरू कर दिया है। इसके संकेत इस वर्ष गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स के समय ही मिल गए थे, जब आरआरआर फिल्म क गाने नाटू-नाटू को बेस्ट सॉन्ग का अवार्ड मिला था। अब इस गाने ने यही उपलब्धि ऑस्कर में भी दोहरा दी है। दरअसल 95वें ऑस्कर में एक साथ दो अलग-अलग भारतीय फिल्मों ने बाजी मारी है। तेलुगु फिल्म “आरआरआर” के साथ-साथ डॉक्यूमेंट्री “द एलिफैंट व्हिस्परर्स” ने वहां पुरस्कार जीते हैं। “आरआरआर” के गीत “नाटू नाटू” को बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग और “द एलिफैंट व्हिस्परर्स” को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शार्ट फिल्म के पुरस्कार से नवाजा गया।

ऑस्कर पुरस्कारों के 94 साल के इतिहास में भारत को चौथी बार ऑस्कर हासिल हुआ है। इससे पहले 1983 में “गांधी” फिल्म के लिए भानु अथैया को बेस्ट कॉस्ट्यूम अवॉर्ड, 1992 में सत्यजीत रे को लाइफटाइम अचीवमेंट और फिर 2009 में “स्लमडॉग मिलियनेयर” को तीन अलग अलग श्रेणियों में ऑस्कर मिला मिला था। “स्लमडॉग मिलियनेयर” के गीत “जय हो” को इसी श्रेणी में ऑस्कर मिला था। गाने को गुलजार ने लिखा था और एआर रहमान ने उसका संगीत दिया था। इस बीच द एलिफैंट व्हिस्परर्स को मिले सम्मान से एक खास समस्या की तरफ ध्यान खींचने में भी मदद मिलेगी। हाथियों के संरक्षण के विषय पर बनी यह एक महत्वपूर्ण फिल्म है। यह तमिलनाडु के मुदुमलई राष्ट्रीय उद्यान में घायल हाथियों को बचा कर लाने और उनके संरक्षण की कहानी है। तो यह हर्ष की बात है कि भारतीय सिनेमा को वह सम्मान मिलने लगा है, जिसका लंबे समय से इंतजार था।

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