
य ह वाकई दहला देने बात है कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के दो ग्राहकों की इस सदमे में जान चली गई कि उन्हें अपना पैसा मिलने की उम्मीदें खत्म हो गई थीं। तीन हफ्ते गुजर चुके हैं, लोगों का पैसा बैंक में बंद पड़ा है, लोग धक्के खा रहे हैं, लेकिन सरकार, रिजर्व बैंक और किसी नेता या पार्टी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसी संवेदनहीनता ने दो लोगों की जान ले ली। इनमें एक व्यक्ति की नब्बे लाख रुपए की एफडी बैंक में है और उसे अपने बच्चे के इलाज के लिए पैसे चाहिए थे। इसी तरह दूसरे शख्स को भी पैसे की भारी जरूरत थी। कुछ दिन पहले एक शख्स वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने हाथ जोड़े खड़ा रहा लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। इस शख्स का महीने भर पहले किडनी का ऑपरेशन हुआ था और उसकी एफडी भी पीएमसी में है। सवाल है जिन लोगों को अपनी जान बचाने, इलाज के लिए अपना ही पैसा न मिले तो वे क्या करेंगे। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि पीएमसी के खाताधारक किस तरह की मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं।
पीएमसी बैंक में ऐसे खाताधारकों की संख्या भी काफी बड़ी है जिनकी पेंशन उसमें आती है, रिटायरमेंट के पैसे एफडी के रूप में जमा हैं। इन लोगों की गुजारा इसी पैसे चलता है। पर अब सब बंद हो गया और एक-एक पैसे को लोग तरस रहे हैं। कहने को बैंक ने अब चालीस हजार रुपए तक की छूट दे दी है, लेकिन यह सोचने वाली बात है कि कैसे कोई परिवार छह महीने तक चालीस हजार रुपए में गुजारा कर पाएगा, कहां से राशन, दवाई, बच्चों की फीस जैसे खर्चे निकलेंगे? वित्त मंत्री पीड़ितों से मिलीं जरूर, लेकिन उन्होंने जो जवाब दिया वह हैरान करने वाला है। वित्त मंत्री का ये कहना कि इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती, रिजर्व बैंक ही फैसला करेगा, हालांकि उन्होंने पैसे की सुरक्षा का भरोसा दिया। पर सवाल है कि सरकार क्या इस तरह हजारों लोगों को मरने के लिए छोड़ सकती है? सरकारों की नीतियों और लापरवाही से ही आज भारत की बैंकिंग व्यवस्था चौपट हुई पड़ी है। लोगों का बैंकिंग व्यवस्था पर से भरोसा टूट गया है। लोगों के मन में खौफ बैठ गया है कि अगर ऐसे ही बैंक डूबने लगे और खाते बंद होने लगे तो उनके पैसे क्या होगा। आम लोगों के लिए पैसा रखने की जो सबसे सुरक्षित जगह बैंक हुआ करती थी, आज वही जगह सबसे ज्यादा लुटने की बन गई है। ऐसे में लोग क्यों बैंकों में अपना पैसा रखेंगे? रिजर्व बैंक किसी भी खाताधारक को उसकी कुल जमा पर एक लाख रुपए की सुरक्षा गारंटी देता है। क्या इस सुरक्षा को कवर नहीं बढ़ाया जाना चाहिए? आज जिन लोगों की लाखों रुपए की साविध जमा हैं अगर उनका पैसा डूब गया तो क्या इसके लिए सरकार जिम्मेदारी नहीं होगी? इन सवालों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
पाकिस्तान के सहारे
ह रियाणा के चरखी दादरी और कुरुक्षेत्र में मंगलवार को भाजपा की चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने इन चुनावी सभाओं में साफ कहा कि हरियाणा और राजस्थान के हिस्से का जो पानी पाकिस्तान को मिल रहा है, उसे अब बंद किया जाएगा और उस पानी को हरियाणा के किसानों तक पहुंचाया जाएगा। प्रधानमंत्री जिस तरह से प्रदेश के चुनाव में भी पाकिस्तान को कोसने और उसे भुनाने की जो मशक्कत कर रहे हैं, वह हैरानी पैदा करने वाली बात है। राष्ट्रीय राजनीति में तो अंतरराष्ट्रीय मामले उठाने की बात फिर समझ में आती है, लेकिन प्रदेश के चुनाव मंप भी जीत के लिए अगर पाकिस्तान का नाम, उसका सहारा लेना पड़े और वह भी एक प्रधानमंत्री को, तो यह प्रदेश सरकार की कमजोरियों पर भी सवाल खड़े करता है। प्रदेश के चुनाव तो स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं और लड़े जाने चाहिए भी, लेकिन अगर उसमें पाकिस्तान को भुनाने की नौबत आ रही है तो यह खुद सत्तारूढ़ पार्टी की ताकत पर संदेह पैदा करता है।
सवाल है कि प्रधानमंत्री को अभी ही क्यों यह सूझा कि हरियाणा के हिस्से का पानी पाकिस्तान को बंद किया जाना चाहिए। अगर वाकई ऐसा करना होता तो क्यों नहीं पिछले पांच साल में ऐसा किया, जबकि केंद्र और राज्य दोनों ही जगह उनकी पूर्ण बहुमत की सरकारें सत्ता में हैं। क्या यह पाकिस्तान की आड़ में मतदाताओं को छलने का उपक्रम नहीं है ! हालांकि लोग भी समझते हैं कि आसान नहीं है पाकिस्तान का पानी बंद करना, यह सिर्फ हवा-हवाई बात है। हरियाणा के चुनाव में भाजपा ने स्थानीय मुद्दों से कन्नी काटी है। बेरोजगारी प्रदेश में सबसे मुद्दा है, लेकिन उस पर कहीं कोई बात नहीं है। प्रदेश में बेरोजगारों की लंबी फौज खड़ी है, लेकिन सरकार ने पिछले पांच साल में ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जो नौजवानों को रोजगार मुहैया कराते। भ्रष्टाचार, किसानों की समस्याएं, पराली से किसानों को मुक्ति, उद्योगों की समस्याएं ऐसे गंभीर मुद्दे हैं जिन पर प्रदेश सरकार पिछले पांच साल में कुछ उल्लेखनीय हासिल नहीं कर पाई है। ऐसे में ले-देकर पाकिस्तान और आतंकवाद ही ऐसे मुद्दे हैं जिनके सहारे जनता की भावनाओं को भुनाया जा रहा है।