नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध से मोदी सरकार जरा भी विचलित नहीं है। नरेंद्र मोदी के रविवार के भाषण को कुछ पत्रकारों ने यह मान लिया कि वह एनआरसी से पीछे हट जाएंगे| मोदी ने अपने भाषण में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया था| मोदी ने सिर्फ यह कहा था कि इस मुद्दे पर अभी विचार नहीं हुआ है| यह बात अमित शाह ने भी नहीं कही थी कि सरकार विचार करके फैसला कर चुकी है। उन्होंने लोकसभा में सिर्फ यह कहा था कि इस के बाद हम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर भी ला रहे हैं।
यह सरकार के एजेंडे पर उसी दिन आ गया थाजब सत्रहवीं लोकसभा गठन के बाद राष्ट्रपति ने केन्द्रीय कक्ष में अपने पहले भाषण में यह बात कही थी| वह सरकार का नीतिगत भाषण है , और यही बात अमित शाह ने लोकसभा में कही हैलेकिन जब इस पर अमल शुरू करना होगा , उस समय सरकार की राजनीतिक मामलों की कमेटी इस पर विचार करेगी। जैसे मोदी ने कहा कि सरकार ने अभी इस पर विचार नहीं किया , वैसे ही अमित शाह ने मोदी से चार दिन पहले 18 दिसम्बर को मीडिया की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में यही कहा था। इस लिए यह कहना गलत है कि मोदी कुछ और कह रहे हैं और अमित शाह कुछ और।
हो सकता है सोनिया गांधी की कांग्रेस अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का भी विरोध करे क्योंकि कांग्रेस अपने पूर्व के फैसलों का बेशर्मी से विरोध कर रही है। 23 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ गांधी की समाधी पर कांग्रेस के धरने में मनमोहन सिंह को भी बैठा देख कर हैरानी हुई| सबसे पहले उन्हीं ने तो 18 दिसम्बर 2003 में राज्यसभा में बांग्लादेश के अभागे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता क़ानून में संशोधन की मांग की थी| राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पुलिस से झड़पों में मारे गए दंगाईयों को शहीद बता कर साम्प्रदायिक राजनीति का सबूत दे दिया है| दोनों भाई बहन जगह जगह जा कर दंगाईयों की हौंसला अफजाई कर रहे हैं, वे रविवार को बिजनौर गए थे और मंगलवार को मेरठ जा रहे थे कि पुलिस ने उन्हें परतापुर में ही रोक कर वापस भेज दिया।
राहुल गांधी ने पुलिस वालों से पूछा कि उन के पास कोई आर्डर है तो दिखाओ| 14 दिसम्बर की कांग्रेस रैली , 15 दिसम्बर को आम आदमी पार्टी के विधायक का भडकाऊ भाषण और राहुल , प्रियंका के दंगाईयों की हौंसला अफजाई वाले दौरों से हिन्दू-मुस्लिम ध्रुविकरण को बढ़ावा मिला है| अब समझा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर में नेताओं को गिरफ्तार न किया गया होता तो किस स्तर पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे होते। हालांकि 370 का भारत के मुस्लिमों से कुछ लेना देना नहीं है, जैसे नागरिकता क़ानून से भारत के मुस्लिम नागरिकों का कुछ लेना देना नहीं हैलेकिन जामिया मिलिया के आन्दोलन का कन्हैया बन कर उभरी केरल की आयशा ने कहा है कि मुस्लिम 370 हटाए जाने और अयोध्या पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर चुप रहे , लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा रहा है| उनका यह बयान भारत के मुस्लिमों में हिन्दुओं के खिलाफ भरे जहर का सबूत है , जिसे राजनीतिक दल हवा दे रहे हैं।
मोदी सरकार ने हर दस साल बाद होने वाली जनगणना का एलान करते हुए 13000 करोड़ रुपए का एलान किया है। हालांकि एनआरसी से इसका कोई ताल्लुक नहीं , एहतियात के तौर पर इसे बायोमीट्रिक भी नहीं किया जा रहा , कोई दस्तावेज भी नहीं माँगा जाएगा| पर कोई पता नहीं कि कोई लदीदा और आयशा 2021 की जनगणना के रजिस्टर को एनआरसी की शुरुआत बता दें और राहुल , प्रियंका उन के समर्थन पर सामने आ जाएं| प्रकाश जावडेकर ने जैसे ही नागरिकता रजिस्टर सम्बन्धी केबिनेट के फैसले का एलान किया खुराफात शुरू हो गई। शरारती तत्वों ने तुरंत सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया कि मोदी सरकार के एक मंत्री ने जुलाई 2014 में संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनपीआर के डाटा को एनआरसी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
वैसे जनगणना तो हर दस साल बाद होती हैयह सौलहवीं बार हो रही है।लेकिन मनमोहन सरकार ने 2010 में जनगणना का रजिस्टर बनाने का फैसला किया था ,जो पहले नहीं होता था। मोदी सरकार इसे आसान बनाने के लिए इस बार एप लांच कर रही है ताकि आनलाईन जनगणना हो सके। अब जैसे वोटिंग मशीन पर सवाल उठाए जाते हैं , वैसे ही मुस्लिमों को बरगलाने के लिए कोई एप की तुलना वोटिंग मशीन से करें तो कौन रोक सकता है?वैसे भी मनमोहन सिंह के किसी फैसले को कहाँ मानती है सोनिया की कांग्रेस।