अब तक राजीव बजाज यह कहते रहे थे कि लॉकडाउन बिना सोचे-समझे किया गया एक गलत फैसला था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया। यही बात अब अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी ने कही है। राजीव बजाज का कहना समझ में आता है क्योंकि वे राहुल बजाज के बेटे हैं और जमनालाल बजाज के पोते हैं। उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था और सच कहने की विरासत उनके डीएनए में है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक बदनाम हुए, उनके ऊपर राफेल सौदे में अनिल अंबानी को ऑफसेट कांट्रैक्ट दिलाने का आरोप लगा, अनिल अंबानी की डूबती कंपनी को बचाने के लिए सवाल उठे, उनके बेटे ने राजीव बजाज से भी आगे बढ़ कर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
उन्होंने न सिर्फ लॉकडाउन की आलोचना की, बल्कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बहाने देश के लोगों के जीवन को कंट्रोल करने के प्रयासों की भी आलोचना की। उन्होंने किसानों की जमीन छीनने का आरोप लगाया तो भारत को चीन की तरह ‘टोटैलिटेरियन बायो सर्विलांस फासिस्ट स्टेट’ बनाने के प्रयास का अंदेशा जताया।
उन्होंने ट्विट करके दो टूक अंदाज में कहा कि फिल्म के पेशेवर कलाकार शूटिंग कर रहे हैं, नेता प्रचार कर रहे हैं, क्रिकेटर मैच खेल रहे हैं, पर कारोबारी को कारोबार करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि सिर्फ जरूरी कामों की इजाजत होगी, लेकिन यह जरूरी काम होता क्या है? अनमोल ने आगे लिखा कि हर आदमी का काम उसके लिए जरूरी होता है। जाहिर है काम छोटा हो या बड़ा, उससे अगर किसी व्यक्ति का जीवन चल रहा है तो वही उसके लिए जरूरी काम होता है। लेकिन कोरोना रोकने के नाम पर बिना सोचे-समझे लोगों के काम बंद करा दिए गए। सड़कों पर से रेहड़ी-पटरी वालों को हटा दिया गया। पिछले साल हुए लॉकडाउन को छोड़ें तो अब भी नाइट कर्फ्यू या सप्ताहांत के कर्फ्यू के नाम पर कारोबार बंद कराया जा रहा है।
अनिल अंबानी के बेटे ने सिलसिलेवार ट्विट करके जो कहा वो बातें इसलिए अनमोल हैं क्योंकि उन्होंने वह कहा, जो इस देश के बड़े बड़े विचारक, विद्वान, कथित बौद्धिक और महान पत्रकार कहने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं। उन्होंने इस बात का भी लिहाज नहीं किया कि उनकी बातें उनके अपने चाचा मुकेश अंबानी के खिलाफ जा सकती हैं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुभ सकती हैं। उन्होंने ट्विट में लिखा- लॉकडाउन की कुंजी से मानव इतिहास का सबसे बड़ा वेल्थ ट्रांसफर हुआ, लोग इसे सिर्फ शासन का निकम्मापन मान रहे हैं पर असल में यह एक न्यू वर्ल्ड ऑर्डर बनाने के लिए बहुत कायदे से सोची समझी योजना है, यह सिर्फ संयोग नहीं है कि आम लोगों को जो नुकसान हुआ है उसका फायदा सबसे अमीर लोगों को हुआ है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिखा पर पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर के आर्थिक सर्वेक्षणों में बताया गया है कि कोरोना के काल में कैसे मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की संपत्ति में बेहिसाब इजाफा हुआ।
भविष्य के खतरे बताते हुए अनमोल अंबानी ने किसान आंदोलन को भी एक तरह से न्यायसंगत ठहरा दिया। उन्होंने सरकार और देश के क्रोनी पूंजीपतियों की दुखती रग पर हाथ रख दिया। उन्होंने कहा कि किसान और उसकी जमीन का कॉरपोरेटिकरण हो रहा है और उसे कोलोनाइज्ड किया जा रहा है। यह कितनी बड़ी बात है! किसान भी यहीं बात कह रहे हैं कि उनकी जमीन छीन कर बड़ी बड़ी कंपनियों को देने की साजिश चल रही है और उनको गुलाम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने से लोगों का बेहद निजी और गोपनीय डाटा इकट्ठा किया जा रहा है और इसे ‘न्यू एज एम्पायर’ को बेचा जा रहा है। यह सिर्फ भारत का खतरा नहीं है, बल्कि वैश्विक खतरा है। इसे लेकर काफी पहले से सवाल उठ रहे हैं। डाटा को नए जमाने का तेल माना जा रहा है और इस पर कब्जे की होड़ चल रही है। अनमोल के चाचा मुकेश अंबानी की कंपनी भी डाटा के कारोबार में आ गई है और भारत की सबसे बड़ी खिलाड़ी कंपनी उन्हीं की है। फिर भी अनमोल ने इसका खतरा बताया है तो उम्मीद करनी चाहिए कि लोगों की आंखें खुलेंगी।
अनमोल ने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आए दिन होने वाले तमाशों का भी जिक्र किया और लिखा- आपको डराया जा रहा है, कमजोर किया जा रहा है, निष्क्रिय किया जा रहा है और आपका ध्यान भटकाया जा रहा है ताकि आप वह न देख सकें, जो असल में हो रहा है। असल में केंद्र की मौजूदा सरकार पिछले सात साल से सुर्खियों के प्रबंधन के जरिए वास्तविकता से लोगों का ध्यान हटाती रही है। उसके अलावा तमाम किस्म के तमाशे रचे जा रहे हैं और अलग अलग नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं ताकि असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटे। पिछली 13 तिमाही से यानी 39 महीने से लगातार देश की जीडीपी गिर रही है। नौकरियां जा रही हैं, काम-धंधे बंद हो रहे हैं, पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हो रहा है, मानवाधिकार से लेकर प्रेस की आजादी और लोकतंत्र के सूचकांक में भारत का स्थान लगातार गिरता जा रहा है लेकिन लोगों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दों में उलझाया जा रहा है। लोगों को धर्म और राष्ट्रवाद की अफीम सुंघा कर नीम बेहोशी की हालत में ला दिया गया है ताकि वे हकीकत न देख सकें।
इसके बाद अनमोल ने कोरोना वायरस और इसे रोकने के लिए चल रहे टीकाकरण पर भी निशाना साधा और कहा- लोगों को मजबूर किया जा रहा है एक ऐसा इंजेक्शन लेने के लिए, जो पूरी तरह से टेस्टेड नहीं है, इसे आपको जीविकोपार्जन के लिए जरूरी बनाया जा रहा है, जो आपका सबसे बुनियादी अधिकार है और जिसे किसी हाल में छीना नहीं जा सकता है। उन्होंने लॉकडाउन पर तीखा हमला करते हुए कहा- लॉकडाउन कभी भी स्वास्थ्य के लिए नहीं था, इसका स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं था, इसने समाज और हमारी आर्थिकी की रीढ़ तोड़ दी दैनिक मजदूरी करने वाले, स्वरोजगार वाले, एमएसएमई, रेस्तरां, ढाबा, फैशन सब खत्म हो गए। इतना ही नहीं आम लोगों के स्वास्थ्य को पूरी तरह से खत्म कर दिया क्योंकि जिम से लेकर पार्क तक सब बंद हो गए खेल के मैदान, स्पोर्ट्स् कांप्लेक्स बंद हो गए, लोगों का धूप लेना बंद हो गया, बच्चों पर भयावह मनोवैज्ञानिक असर हुआ। सोचें, सरकार के धुर विरोधियों ने भी इस तरह से लॉकडाउन के नुकसान नहीं बताए थे।
अंत में उन्होंने एक बड़े साजिश की ओर इशारा किया, जो देशी भी है और ग्लोबल भी। उन्होंने कहा कि कोरोना के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है वह स्वास्थ्य के बारे में नहीं है, बल्कि नियंत्रण के लिए है। उनका इशारा था कि सरकारें आम लोगों के जीवन पर पूरा नियंत्रण हासिल करना चाहती हैं। अनमोल ने लिखा- पूरी दुनिया बड़े और भयावह जाल में फंस रही है, सरकारें आम लोगों के जीवन पर पूरा कंट्रोल हासिल करना चाह रही हैं और हम जाने अनजाने में इस जाल में फंस रहे हैं। उन्होंने आगे किसी देश का नाम लिखे बगैर कहा- चीन की तरह टोटैलिटेरियन बायो सर्विलांस फासिस्ट स्टेट बनाया जा रहा है। जाहिर है यह बात उन्होंने भारत के बारे में कही। लेकिन आखिर में उन्होंने इसे ग्लोबल साजिश बता दिया और कहा कि देश और देश के लोगों पर उनको भरोसा है, वे इसे कामयाब नहीं होने देंगे।