
दरअसल चौतरफा चुनौतियों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री कमलनाथ मैग्नीफिसेंट एमपी के माध्यम से एक बड़ा संदेश देना चाहते हैं कि यदि दृढ़ निश्चय होकर काम किया जाए तो फिर कोई भी रुकावट बाधा पैदा नहीं कर सकती। प्रदेश में इस समय सबसे बड़ी समस्या किसानों के सामने है। भारी बारिश से फसलें चौपट हो गई हैं और पिछले कई वर्षों से किसी ना किसी कारण से किसान लगातार परेशान है, आत्महत्या कर रहा है, आंदोलन कर रहा है लेकिन कृषि अभी तक लाभ का धंधा नहीं बन पाया है। इस बार कोशिश की जा रही है कि ऐसे उद्योग-धंधे लगाए जाएं जो कृषि आधारित हों और गांव के लिए रोजगार भी पैदा करते हों। मुख्यमंत्री कमलनाथ का पूरा फोकस इसी क्षेत्र पर है।
बहरहाल मध्यप्रदेश की भौगोलिक विविधता जहां इसे विभिन्न प्रकार के अनाजों और बागवानी फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल बनाती है वहीं इस खासियत के चलते प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए भी एकदम उपर्युक्त नजर आता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कृषि कार्य में लगी आबादी की कई समस्याओं को हल करने में मददगार साबित हो सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का समुचित विकास ना केवल कृषि से संबंधित नए रोजगार तैयार करता है, बल्कि यह विकल्पों के अभाव से जूझ रहे किसानों को अपनी आय बढ़ाने उपज का सही मूल्य पाने और औद्योगिक इकाइयों के साथ निकट संबंध बनाने का अवसर भी देता है।
मध्यप्रदेश वैसे भी तिलहन और दलहन फसलों के अलावा संतरा, टमाटर, लहसुन आदि फसलों के उत्पादन के क्षेत्र में देश में अग्रणी स्थान रखता है वहीं खाद्य उत्पादन के अलावा हरी मटर, प्याज, हरी मिर्च, अमरूद के उत्पादन के क्षेत्र में भी देश के शीर्ष प्रांतों में शुमार है। इनसे संबंधित उद्योग लगाने पर उत्पादन बढ़ेगा और लोगों को रोजगार मिलेगा जिससे किसान की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से शहरों में होने वाले पलायन की समस्या को हल करना आवश्यक है। आजीविका की तलाश में होने वाले इस पलायन का बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा-दीक्षा पर बुरा असर पड़ता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार का एक बड़ा सामाजिक लाभ यह होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रुकेगा। सरकार इस क्षेत्र में उद्यमियों को निवेश करने के लिए उत्साहित कर रही है। उन्हें समुचित प्रवेश दिया जा रहा है। उनकी खपत में बढ़ोतरी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
निजी निवेश को आकर्षक बनाया जा रहा है और बुनियादी सुविधाओं मसलन कोल्ड स्टोरेज और वेयर हाउस की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके लिए सरकार 5 करोड़ तक की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। कुल मिलाकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। पिछले 10 महीने में प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कई निवेश प्रस्ताव आए हैं। प्रदेश में 2 मेगा फूड पार्क समेत 11 फुट पार्क हैं जो खरगोन, देवास, बाबई, पिपरिया, होशंगाबाद, मालनपुर, निमरानी, रतलाम, मनेरी बारोदी, बोरगांव और जग्गा खेड़ी में स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र का भविष्य उम्मीदों से भरा है और मुख्यमंत्री कमलनाथ के उत्साह और इस क्षेत्र में उनकी अभिरुचि को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में तेज गति से विकास देखने को मिलेगा और यदि सब कुछ ठीक रहा तो ना केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी वरन गांव से रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन भी रुक सकेगा।