
भोपाल। दरअसल राजनीति में चुनाव जीतने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। चुनाव के दौरान नेताओं को लगता है किस बात से वोट मिल जाएंगे वही बात करते हैं। भले ही चुनाव बाद उस पर अमल करना मुश्किल होता है। ऐसे अनेक चुनावी नारे और वादे हैं जिन पर यदि अमल किया गया होता तो आज देश में बहुत सी समस्याएं शेष नहीं रह जाती। गरीबी हटाना और भ्रष्टाचार मिटाना लगभग हर चुनाव के ऐसे मुद्दे हैं जिसे कोई भी नेता कहने में संकोच नहीं करता लेकिन ना तो देश से गरीबी दूर हुई और ना ही भ्रष्टाचार समाप्त हुआ।
बहरहाल झाबुआ विधानसभा के उपचुनाव को जीतने के लिए दोनों ही दल शह-मात का खेल खेल रहे हैं। इसके लिए मतदाताओं को ऐसे भी आश्वासन दिए जा रहे हैं जो ना तो पूरे किए जा सकते हैं और ना ही कहने वाले की अधिकार क्षेत्र की बातें हैं लेकिन चुनाव में वोट कैसे मिले इसके लिए कुछ भी कहा जा रहा है। सत्ताधारी दल कांग्रेस जहां झाबुआ के विकास के मुद्दे को उछाल रही है वहीं भाजपा मध्यप्रदेश में सरकार पलटने की बात करने लगी है। कांग्रेस ने अपने विकास के मुद्दे को धारदार बनाने के लिए 18 अक्टूबर को इंदौर में होने वाली मैग्नीफिसेंट एमपी को आधार बनाया है वहीं भाजपा नेता कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस सरकार से झाबुआ के विकास के लिए किए गए कार्यों का हिसाब मांग रहे हैं। यही नहीं झाबुआ में भाजपा नेता बंद बैठकों और मंची भाषणों में कांग्रेस सरकार के गिर जाने की भी बातें कर रहे हैं।
भाजपा ने अपनी मजबूत स्थिति दिखाने के लिए मंगलवार को भाजपा कार्यालय में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की उपस्थिति दिखाई। यहां बताते चलें कि पिछले विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल मत विभाजन के दौरान कांग्रेस के साथ चले गए थे। उस समय भाजपा को यह तगड़ा झटका माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता एक वोट से दो सरकार की बात कर रहे थे और उनके विधायक कांग्रेस के साथ चले गए। यही कारण है कि आज नारायण त्रिपाठी को भाजपा कार्यालय में पत्रकारों के सामने दिखाकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और पूर्व मंत्री विश्वास सारंग पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि जता रहे थे और भाजपा नेता इसके बाद झाबुआ के लिए कांग्रेस को झटका बता रहे हैं।
कुल मिलाकर झाबुआ में प्रतिष्ठा की जंग लड़ रहे दोनों दलों के लिए जहां जीत इतनी जरूरी हो गई है कि झाबुआ में तो आकर्षक मुद्दे उठा ही रहे हैं झाबुआ के बाहर भी ऐसा माहौल बना रहे हैं जिससे लगे कि प्रदेश में भविष्य उनके दल का है और भी झाबुआ में उनके प्रत्याशी को विजयी बनाएं। मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने मंत्रियों को जहां झाबुआ में तैनात किए हुए हैं वहीं 18 अक्टूबर से इंदौर में ऐसा माहौल बनाएंगे कि झाबुआ तो क्या पूरे प्रदेश में विकास की उम्मीदें उफान भरेंगी।