आज का लेख

आपूर्ति सुनिश्चित करने की जरूरत

ByShashank rai,
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आपूर्ति सुनिश्चित करने की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में नहीं कहा कि सरकार हर नागरिक को जरूरत की सारी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी पर उन्होंने पिछले हफ्ते गुरुवार को यह बात कही थी। उसके बाद अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकों को भरोसा दिलाया है कि जरूरी वस्तुओं की कमी नहीं होने दी जाएगी। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक लंबी सूची जारी की है, जिसमें बताया गया है कि 21 दिन के लॉकडाउन पीरियड में नागरिकों को कौन कौन सी सेवाएं और वस्तुओं निर्बाध रूप से मिलती रहेंगी। इसमें चिकित्सा सेवा से लेकर दवा और खाने-पीने की चीजों से लेकर बिजली, पानी, इंटरनेट, खबर या सूचनाएं निर्बाध रूप से जनता को मिलेंगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो यहां तक कहा है कि सरकार हर घर तक राशन पहुंचाएगी। हालांकि यह पता नहीं है कि सरकार इसे कैसे सुनिश्चित करेगी। बहरहाल, सरकारें हर जरूरी चीज और सेवाओं की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित करेगी, इस पर विचार के क्रम में सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि सरकार के पास वस्तुओं की उपलब्धता कैसी है, आपूर्ति सुनिश्चित करने की तैयारी पर उसके बाद चर्चा होगी। जहां तक अनाज और दूसरी जरूरी चीजों की उपलब्धता की बात है तो उसकी कमी नहीं है। रबी की फसल लगभग पूरी तरह से उपलब्ध हो गई है। बहुत कम जगहें हैं, जहां फसल खेत में है। ज्यादातर जगहों पर फसल खलिहान तक पहुंच गई है। खराब मौसम के बावजूद रबी की बंपर फसल हुई है। नई फसल आने से पहले भी सरकार के गोदामों में रिकार्ड मात्रा में अनाज उपलब्ध है। भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई के गोदामों में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है। नैफेड के पास दलहन की उपलब्धता भी कम नहीं है। गेहूं, दालें, तिलहन आदि की उपलब्धता पूरी है। पर खाने के तेल की कमी हो सकती है क्योंकि उसके लिए भारत आयात पर निर्भर है। इसके बावजूद बुनियादी खाद्यान्न की कमी नहीं है। पर यह बात दूध, चीनी, फल, सब्जियों आदि के बारे में नहीं कही जा सकती है। इनकी आपूर्ति कई दूसरे फैक्टर पर निर्भर करती है। ये चीजें हर दिन मंडी में पहुंचती हैं। मोटे तौर पर फल, सब्जियों आदि की उपलब्धता एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी, एपीएमसी के जरिए होती है। वहां कुछ मुश्किल आ सकती है। अब असली समस्या इसके आगे शुरू होती है। असली समस्या सामान की उपलब्धता की नहीं है, बल्कि उसकी आपूर्ति की है। लॉकडाउन की वजह से आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो सकती है। अनाज को गोदामों से निकाल लोगों तक पहुंचाना या फल-सब्जियों आदि को कोल्ड स्टोरेज से  निकाल कर लोगों तक पहुंचाना मुश्किल काम है। ये सारी आपूर्ति बिजनेस टू बिजनेस है यानी उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले इसे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना होता है। इस काम में लॉकडाउन की वजह से मुश्किल आएगी। उसके बाद खुदरा कारोबारी के पास सामान पहुंचने के बाद भी उसे उपभोक्ता तक पहुंचाने में लॉकडाउन की वजह से परेशानी होगी। इस परेशानी को दूर करने का काम केंद्र और राज्य सरकारों को मिल कर करना होगा। सबसे पहले तो आपूर्ति शृंखला की मुश्किलों की पहचान करनी होगी। जैसे अभी खबर आ रही है कि सामान से भरे हजारों-लाखों ट्रक रास्तों में फंसे हैं। हाईवे पर उन्हें अलग अलग प्राधिकारियों द्वारा रोका जा रहा है। पुलिस भी ट्रकों को रोक रही है। अगर उन्हें जल्दी से जल्दी मंजिल तक पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हुई तो उनमें रखे गए सामान खराब होंगे और बाजार में कई चीजों की कमी हो सकती है। और एक बार कमी शुरू हो गई तो लोगों में पैनिक होगा, अफरातफरी मचेगी। ध्यान रहे यह बंदी एक-दो दिन की नहीं है, बल्कि तीन हफ्तों की है। दूसरे, राज्यों  ने अपनी सीमाएं सील की हुई हैं। पर हर सीमा पर यह व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी कि सामान से भरी गाड़ियों को न रोका जाए। खबर आ रही है कि हर राज्य की सीमा पर गाड़ियों की लंबी कतार लगी है। इनमें कुछ निजी गाड़ियां भी हैं और ज्यादातर सामान से भरे कंटेनर और ट्रक आदि हैं। दूसरी मुश्किल जो आई है, जिसे निश्चित रूप से सरकार को प्राथमिकता के आधार पर दूर करना चाहिए, वह मालगाड़ियों से सामान की ढुलाई की है। पहले दिन जब राज्यों ने अलग अलग लॉकडाउन का ऐलान किया तो उन्होंने रेलवे की मूवमेंट को जरूरी सेवाओं की सूची में नहीं शामिल किया। इसका नतीजा यह हुआ कि कई जगह मालगाड़ियां रोक दी गई। मालगाड़ियों की मूवमेंट को सुचारू बनाना होगा। तभी सामान दुकानों तक पहुंच पाएगा। सरकार को अपनी दुकानों तक भी सामान पहुंचाना है और खुदरा दुकानों की निजी चेन और छोटे व्यापारियों तक भी सामान पहुंचाना है। इसके बाद बारी आती है कि उपभोक्ता तक सामान पहुंचाने की। इसमें भी सबसे पहले पुलिस की मनमानी रोकनी होगी। लॉकडाउन के बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि पुलिस लोगों को घरों से निकलने से रोक रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर गली में लॉकडाउन होगा तो पुलिस गली-गली लॉकडाउन सुनिश्चित करने में लगी है। ऐसे में या तो सरकार लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने की सुविधा दे या उन्हें छूट दे कि वे सामान खरीदने निकल सकें। असल में सरकार को लॉकडाउन की घोषणा से पहले कुछ तैयारी करनी चाहिए थी। हर घर के लिए परमिट जारी किया जाना चाहिए, जिसे लेकर लोग जरूरी सेवाओं या वस्तुओं के लिए घर से निकलें।
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