दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने चुनाव लड़ने के लिए भाजपा को उम्मीदवार नहीं मिला। बताया जा रहा है कि पार्टी ने कई दिग्गजों से बात की। फिल्मी सितारों से लेकर लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों से भी बात हुई पर कोई भी केजरीवाल के खिलाफ लड़ने को तैयार नहीं हुआ। तभी पार्टी ने एक बार नगर निगम का चुनाव लड़ कर हारे सुनील यादव को उम्मीदवार बना दिया। पिछली बार भाजपा ने अपनी प्रवक्ता और तेजतर्रार नेता नुपुर शर्मा को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस ने भी शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहीं किरण वालिया को उतारा था। पर दोनों की दशा देख कर लग रहा है कि इस बार कोई बड़ा नेता लड़ने को तैयार नहीं हुआ।
सोचें, केजरीवाल ने दिसंबर 2013 में पहली बार पार्टी बना कर लड़ने का फैसला किया तो उन्होंने तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ नई दिल्ली सीट पर लड़ने का फैसला किया। उन्होंने शीला दीक्षित को हराया और तब मुख्यमंत्री बने। आज भाजपा उनको चुनौती दे रही है पर उसके पास उनके खिलाफ लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने हिंदी के कवि और किसी जमाने में केजरीवाल के दोस्त रहे कुमार विश्वास को भी लड़ने के लिए कहा था। पर वे भी तैयार नहीं हुए। उनके करीबियों की ओर से बहाना यह बनाया जा रहा है कि वे चाहते थे कि पार्टी उनको मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर चुनाव में उतारे। बहरहाल, कांग्रेस ने भी रोमेश सभरवाल को उम्मीदवार बनाया है। वे भी पहले कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं।
केजरीवाल के सामने भाजपा का सरेंडर
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