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कांग्रेस के पास नेता की कमी

ByNI Political,
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कांग्रेस के पास नेता की कमी
दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के पास नेताओं की कमी हो गई है। कांग्रेस में नेतृत्व करने वाले नेताओं की कमी सरकार में रहते ही शुरू हो गई है। पार्टी ने शीला दीक्षित को लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री बनाए रखा। उन्होंने भी अपनी गद्दी सुरक्षित रखने के लिए एक एक करके सारे नेताओं को निपटाना शुरू किया। 15 साल के उनके राज में कांग्रेस के लगभग सारे नेता निपट गए। कुछ बुजुर्ग हो गए, कुछ का निधन हो गया और कुछ को शीला दीक्षित ने घर बैठा दिया। जो बचे थे वे केंद्र की राजनीति में चले गए और दिल्ली के लिए बेकार हो गए। कुछ नेता परेशान होकर दूसरी पार्टियों में चले गए। तभी मजबूरी में कांग्रेस को शीला दीक्षित को ही कमान देनी पड़ी थी पर दुर्भाग्य से उनका भी निधन हो गया। अब कांग्रेस नेतृत्व के संकट से जूझ रही है। उसके पास चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए नेता नहीं है। सुभाष चोपड़ा को अध्यक्ष बनाया गया है पर सबको पता है कि उनकी क्षमता क्या है। उनकी लोकप्रियता भी कैसी है इसका भी सबको अंदाजा है। अजय माकन चेहरा हो सकते थे पर लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में लगातार हार और सेहत की वजह से वे भी बहुत सक्षम या उपयोगी नहीं रह गए हैं। कपिल सिब्बल उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में हैं। वे दो बार चांदनी चौक से सांसद रहे पर कभी भी जमीनी नेता नहीं रहे हैं। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित में दिल्ली का नेता बनने की संभावना थी पर 2013 के दिसंबर में दिल्ली विधानसभा में शीला के हारने के बाद उनके विरोधी खेमे ने उनको आगे नहीं बढ़ने दिया। वे भी दिल्ली छोड़ कर भोपाल चले गए। नतीजा यह हुआ है कि आज कांग्रेस के पास दिल्ली में एक भी ऐसा नेता नहीं है, जिसे मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर या नेता के तौर पर ही पेश किया जा सके।
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