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गुरु की तलाश में तीन दिन बर्फीली पहाड़ियों में बैठे रहे शेखर कपूर

New Delhi, Nov 11 (ANI): 55th International Film Festival Of India festive director Shekhar Kapur addresses a press conference during its Curtain Raiser at National Media Centre, in New Delhi on Monday. (ANI Photo/Amit Sharma)

फिल्ममेकर शेखर कपूर ने बुधवार को इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर करते हुए पहाड़ों के सफर से जुड़ा दिलचस्प किस्सा सुनाया, जो उनके जीवन का खास अनुभव रहा।

उन्होंने अपनी काव्यात्मक शैली में लिखा कि कैसे वे अपने गुरु से मिले और उन्हें आत्म-ज्ञान का गहरा अनुभव हुआ। कपूर ने इंस्टाग्राम पर बर्फीले पहाड़ों के बीच बैठे अपनी एक तस्वीर साझा की, जिसमें शेखर कपूर बर्फीले पहाड़ों के बीच बैठे नजर आ रहे हैं। उन्होंने कैप्शन में एक लंबा नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने बताया कि वह तीन दिन तक वहीं बैठे रहे थे।

उन्होंने नोट में लिखा मैं वहां तीन दिन तक बैठा रहा। मैं इतने लंबे समय से इस पहाड़ पर चढ़ रहा था और थक चुका था… लेकिन मेरे गुरु मेरी तरफ देख कर भी ध्यान नहीं दे रहे थे। मैं बस उनकी सांसें सुन पा रहा था… और शायद प्रार्थना की आवाजें भी… हो सकता है कि वह आवाजें पहाड़ों से टकराती हवाओं की हों. आखिरकार, मैंने हिम्मत जुटाकर बात करने की कोशिश की।

शेखर कपूर ने आगे कहा मैंने अपने गुरु की तलाश कई सालों तक की, सच कहें तो पूरी जिंदगी। एक पल के लिए लगता कि मैंने उनकी आवाज सुनी है, और दूसरे पल लगता शायद यह मेरी कल्पना थी, क्योंकि आस-पास बस हवा की आवाजें ही आ रही थीं। मेरे आंसू चेहरे पर गिर रहे थे। मैंने प्यार किया है, प्यार पाया है, धोखा दिया है और धोखा भी खाया है। 

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मैंने बड़ी सफलताएं देखी हैं और गहरी निराशा भी महसूस की है। मैंने कभी-कभी खुद का अस्तित्व महसूस किया है, कभी-कभी ऐसा लगा है कि मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है। फिर भी, मुझे पता है कि जो कुछ भी मैंने किया या नहीं किया, वह सब बस एक सांस भर था, एक कदम था उस तलाश की ओर, जिसमें मैं अपने गुरु को ढूंढ़ रहा था।

उन्होंने लिखा वहां सन्नाटा था, फिर एक आवाज आई। मुझे समझ नहीं आया कि वह आवाज गुरु की थी या फिर तेज हवाओं की। लेकिन मैंने हिम्मत करके सवाल पूछा, ‘गुरुजी, मेरे जीवन का अस्तित्व क्या है? मैं यहां क्यों हूं?’ लेकिन गुरु ने मुड़कर जवाब नहीं दिया। 

कुछ देर बाद एक आवाज आई, ‘जब तुम समय का असली महत्व समझ लोगे, तब तुम अपने जीवन का मतलब भी समझ जाओगे। तुमने मुझे अपनी कहानी सुनाई, जो तुम अपनी जिंदगी समझते हो। लेकिन वही कहानी तुम्हारे समय बनाने में मदद करती।

शेखर कपूर ने नोट के आखिरी हिस्से में लिखा मैंने गुरुजी से कहा, ‘मैं समय कैसे बना सकता हूं?’ कृपया समझाइए। इस पर गुरुजी ने कहा, ‘वर्तमान, भूत या भविष्य कुछ भी नहीं है, सिर्फ अस्तित्व है, शुद्ध, समय रहित और सरल। जब तुम इसे समझ लोगे, तभी तुम अपने अस्तित्व को समझ पाओगे।’ 

इस बात की सादगी और गहराई से मैं अवाक रह गया। फिर मैंने कहा, ‘गुरुजी, क्या आप मुड़ कर अपना चेहरा दिखा सकते हैं?’ गुरुजी ने कहा, ‘क्या? तुम अपनी कहानी में और जोड़ना चाहते हो? फिर से समय बढ़ाना चाहते हो? क्या तुम सच में चाहते हो?’ फिर गुरुजी धीरे-धीरे मुड़े और सामने जो थे, मैंने उनमें खुद की आत्मा को महसूस किया।

Pic Credit : ANI

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