सब लोग हतप्रभ हैं। कहा नहीं जा सकता कि फिल्म में कोई बदलाव किया जाएगा या नहीं, मगर ‘आदिपुरुष’ को जनवरी में हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम आदि भाषाओं में एक साथ काफी बड़े पैमाने पर रिलीज़ किए जाने की तैयारी है, जो कि फिलहाल राम भरोसे ही लगती है।… फिल्म का भारतीय जनता पार्टी और कई हिंदूवादी संगठन विरोध कर रहे हैं लेकिन उसे एमएनएस यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से समर्थन मिला है। रामायण पर आधारित ओम राउत की फिल्म ‘आदिपुरुष’ की मदद के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण फिल्म सेना के अध्यक्ष अमेय खोपकर आगे आए। उनके मुताबिक ओम राउत इससे पहले ‘लोकमान्य – एक युगपुरुष‘ और ‘तानाजी – द अनसंग वारियर‘ जैसी फिल्में बना चुके हैं और वह हिंदुत्ववादी व्यक्ति हैं।
कोई उम्मीद नहीं कर सकता था कि जिस फिल्म का भारतीय जनता पार्टी और कई हिंदूवादी संगठन विरोध कर रहे हैं उसे एमएनएस यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से समर्थन मिलेगा। लेकिन मिला। रामायण पर आधारित ओम राउत की फिल्म ‘आदिपुरुष’ की मदद के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण फिल्म सेना के अध्यक्ष अमेय खोपकर आगे आए। उनके मुताबिक ओम राउत इससे पहले ‘लोकमान्य – एक युगपुरुष’ और ‘तानाजी – द अनसंग वारियर’ जैसी फिल्में बना चुके हैं और वह हिंदुत्ववादी व्यक्ति हैं। खोपकर ने सवाल किया कि ‘छोटा सा टीजर देख कर कैसे कहा जा सकता है कि फिल्म कैसी होगी? इसलिए पहले फिल्म देखो, फिर फैसला करो।‘ यानी वे चाहते हैं कि फिल्म को रिलीज होने दिया जाए।
जबकि महाराष्ट्र के भाजपा विधायक राम कदम कह चुके हैं कि हम राज्य में ‘आदिपुरुष’ को रिलीज नहीं होने देंगे। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी इस फिल्म और इसे बनाने वालों के प्रति अपना गुस्सा जताया है। फिर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र कैसे पीछे रह जाते। उनकी मांग है कि फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाया जाए, नहीं तो इसे बैन कर दिया जाए। वे मानते हैं कि हनुमान को चमड़े के लिबास में दिखाना हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
यह बवाल फिल्म के जिस टीज़र से शुरू हुआ उसे गांधी जयंती पर अयोध्या में जारी किया गया था। वहीं के राम मंदिर के महंत सत्येंद्र दास भी इसे बैन करने की मांग कर चुके हैं। उनके हिसाब से इसमें राम, सीता और रावण का चित्रण गलत तरीके से हुआ है। सर्व ब्राह्मण महासभा ने तो ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं को कानूनी नोटिस ही भेज दिया जिसमें उनसे माफी मांगने को कहा गया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने इस फिल्म के रावण को खिलजी जैसा बताया है तो कोई कह रहा है कि राम को चप्पलें क्यों पहना दीं। रावण क्योंकि सैफ अली खान बने हैं इसलिए कुछ लोग सोशल मीडिया में सैफ पर गुस्सा निकाल रहे हैं।
कोई इसके वीएफएक्स को खराब बता रहा है और कोई उन्हें ‘हैरी पॉटर’ सीरीज़ की फिल्मों और ‘एवेंजर’ व ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ की नकल बता कर निंदा कर रहा है। हालत यह हो गई कि एक बड़े वीएफएक्स स्टूडियो ने बयान जारी किया कि ‘आदिपुरुष’ के लिए उसने काम नहीं किया है। यह बयान उसे इसलिए जारी करन पड़ा कि मीडिया के लोग बार-बार उसे फोन कर रहे थे।
इसी बीच एक वीडियो आया जिसमें एक महिला रामानंद सागर के सीरियल ‘रामायण’ में राम की भूमिका कर चुके अरुण गोविल के पांव छू रही है। वे इस दशहरे पर एक कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ गए तो एयरपोर्ट पर उन्हें यह महिला मिली। गोविल कहते हैं कि ‘पहले मैं लोगों को रोकता था, पर लोगों ने कहा कि हम आपके पैर नहीं छू रहे, बल्कि भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं।‘ इसलिए अब अरुण गोविल लोगों को अपने पैर छूने देते हैं। ‘आदिपुरुष’ के बारे में उन्होंने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
मगर उनके साथ सीता की भूमिका कर चुकीं दीपिका चिखलिया ‘आदिपुरुष’ से खुश नहीं लगतीं। उन्होंने कहा कि अगर कोई चरित्र श्रीलंका का है तो उसे मुगलों जैसा नहीं दिखाया जाना चाहिए। वे कहती हैं कि वीएफएक्स आज की फिल्मों का एक जरूरी हिस्सा हैं, लेकिन यह तो देखना ही पड़ेगा कि लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे। उनके साथ लक्ष्मण की भूमिका करने वाले सुनील लहरी भी कहते हैं कि जो हमारे आराध्य हैं उनके प्रति कोई भी निगेटिविटी अब देश बर्दाश्त नहीं करेगा। करीब चार दशक पुराने ‘रामायण’ सीरियल में अरविंद त्रिवेदी ने रावण और दारा सिंह ने हनुमान की भूमिका की थी और ये दोनों ही अब दुनिया में नहीं हैं।
वैसे रामायण पर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं। लगभग एक सदी पहले दादा साहब फाल्के ने ‘लंका दहन’ नाम की मूक फिल्म बनाई थी जिसमें राम और सीता दोनों की भूमिकाएं एक ही कलाकार अन्ना सालुंके ने की थीं। आप इसे भारतीय सिनेमा का पहला डबल रोल भी कह सकते हैं। फिर विजय भट्ट ने ‘रामायण’ बनाई जिसमें प्रेम अदीब राम और शोभना समर्थ सीता बनी थीं। य़ह अकेली फिल्म है जिसके लिए दावा किया जाता है कि इसे महात्मा गांधी ने भी देखा था। फिर करीब पंद्रह साल बाद बाबू भाई मिस्त्री की ‘संपूर्ण रामायण’ आई जिसमें अनिता गुहा और महिपाल थे। इनके अलावा, हिंदी दर्शकों के लिए रामकथा पर आधारित सबसे ज्यादा चर्चित रामानंद सागर का सीरियल ही रहा।
बहरहाल, ‘आदिपुरुष’ को लेकर मचे हंगामे से उसकी पूरी टीम हैरान और परेशान है। ओम राउत कहते हैं कि ‘हमारी फिल्म की तरह रामानंद सागर के सीरियल में भी टेक्नोलॉजी के कई प्रयोग हुए थे। जैसे उसमें एक तीर में से दस तीर निकला करते थे। उस सीरियल में रावण को राक्षस के रूप में चित्रित करने का रामानंद सागर का अपना तरीका था। हमारा रावण आज के वक्त का राक्षस है और मेरे नजरिये से राक्षस ऐसा भी दिख सकता है जैसा कि लोगों को टीजर में दिखा।‘ फिल्म में बदलाव की मांग पर ओम राउत ने कहा कि यह फिल्म हमारे लिए एक मिशन की तरह है। लोग जो कुछ भी कह रहे हैं, उस सब को हम नोट कर रहे हैं।
ध्यान रहे, ओम राउत की ‘तानाजी’ को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे। उनकी ‘लोकमान्य’ भी पुरस्कृत हुई थी। इनके अलावा ‘सिटी ऑफ गोल्ड’, ‘हॉन्टेड’ और मराठी में ‘लालबाग परेल’ जैसी फिल्मों में भी वे निर्देशन दे चुके हैं। पत्रकार और राज्यसभा सदस्य रहे भरत कुमार राउत उनके पिता हैं जबकि उनकी मां नीना राउत मराठी फिल्मों की निर्माता रही हैं।
केवल ओम राउत ही नहीं, ‘आदिपुरुष’ में राम की भूमिका कर रहे प्रभास भी खासे परेशान हैं। उनकी परेशानी की वजह यह भी है कि उनकी पिछली दो फिल्में ‘साहो’ और ‘राधेश्याम’ बुरी तरह पिटी हैं और उनकी भारी-भरकम फीस के चक्कर में ‘आदिपुरुष’ का बजट पांच सौ करोड़ से ऊपर निकल गया है। वे कहते हैं कि उन्होंने राम की भूमिका में बहुत मेहनत की है क्योंकि उन्हें डर था कि उनसे कोई गलती न हो जाए। कृति सेनन के लिए भी यह अब तक की सबसे बड़ी फिल्म और सबसे बड़ी भूमिका है। वे इसमें सीता बनी हैं और खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हैं, क्योंकि बहुत कम अभिनेत्रियों को सीता की भूमिका निभाने का अवसर मिलता है। यही स्थिति सन्नी सिंह की है जो इसमें लक्ष्मण बने हैं।
मौजूदा हालात में ये सब लोग हतप्रभ हैं। कहा नहीं जा सकता कि फिल्म में कोई बदलाव किया जाएगा या नहीं, मगर ‘आदिपुरुष’ को जनवरी में हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम आदि भाषाओं में एक साथ काफी बड़े पैमाने पर रिलीज़ किए जाने की तैयारी है, जो कि फिलहाल राम भरोसे ही लगती है।