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कॉट आउट: क्राइम, करप्शन, क्रिकेट

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एक बार इस देश ने अपने पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव को गुस्से में कहते सुना था कि ‘मेरे सामने आकर कहे। उसके कान के नीचे एक रैपटा मारूंगा।‘ करीब ढाई दशक पहले यह तब की बात है जब भारतीय क्रिकेट में बेटिंग और फिक्सिंग को लेकर बवाल चल रहा था और मनोज प्रभाकर ने कपिल पाजी की तरफ उंगली उठाई थी। उन दिनों दिल्ली पुलिस ने एक केस दर्ज करके काफी छानबीन की थी। इसमें दक्षिण अफ्रीका के कई खिलाड़ियों के भी नाम थे। वहां के तत्कालीन कैप्टन हैन्सी क्रोनिए ने पहले तो फिक्सिंग का खंडन किया, लेकिन सबूत सामने आने पर उन्होंने बुकी से पैसे लेने की बात स्वीकार कर ली थी। उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा था और बाद में एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। उस छानबीन का असर यह था अपनी टीम के साथ हर्शल गिब्स भारत आते ही नहीं थे कि कहीं दिल्ली पुलिस उन्हें इन्टेरोगेट न करे। उन दिनों भारत के भी कई खिलाड़ियों के नाम उछले थे। मोहम्मद अजहरुद्दीन और मनोज प्रभाकर उन खिलाड़ियों में थे जिन पर सबसे ज्यादा गाज गिरी। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि इसकी जांच सीबीआई से भी कराई गई।

इतने दिनों बाद, नेटफ़्लिक्स पर आई डॉक्यूमेंट्री ‘कॉट आउट: क्राइम, करप्शन, क्रिकेट’ उस समय के पूरे हालात को फिर ज़िंदा कर आपके सामने रखती है। यह एक पत्रकारीय डॉक्यूमेंट्री है जिसमें उस समय के कई रिपोर्टर आपको अपनी बात कहते मिलेंगे। अनिरुद्ध बहल, शारदा उग्रा, मुरली कृष्णन आदि। इसमें पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार भी दिखते हैं और पूर्व सीबीआई अधिकारी रवि सवानी भी। यह डॉक्यूमेंट्री आपको बताती है कि बहुत कुछ था जो सामने नहीं आया। बहुत कुछ था जो सामने था और माना नहीं गया। बहुत कुछ था जो होना चाहिए था और नहीं हुआ। क्या करें, अपना सिस्टम ही ऐसा है।

By सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

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